परमवीर चक्र [4] कम्पनी हवलदार - मेजर पीरु सिंह

कश्मीर में  टीथवाल एक गहरी घाटी में बसा हुआ है l  इसके पश्चिम और दक्षिण -पश्चिम में उंची पर्वत श्रिंखलाए है l इस पर्वत श्रेणी पर, पाकिस्तानी सैनिकों ने कई चौकिया बनाए बैठे थे l

छठी बतालीयन राजपूताना राईफ्लस के कम्पनी हवलदार -मेजर पीरु सिंह और उनके साथियोँ को आदेश मिला कि, वे  टीथवाल के दक्षिण में उस उंची पर्वत श्रेणी पर स्तिथ चौकीयों पर हमला करे l और उन  चौकीयों पर अपना l करें l इन चौकीयों तक जाने के लिए एक और  संकीर्ण मार्ग से गुज़रना था l इस मार्ग पर पाकिस्तानी सैनिक तैनात थेl
इस पर्वत पर स्तिथ चौकीयों की प्रकृतिक सुरक्षा चट्टानो और पर्वतो से हो रही थी l
उन्होने ' राजा रामचंद्र की जय ' का नारा बुलंद करके युद्ध का आह्वान किया और दुश्मनों पर आक्रमण करने चले l जैसे ही पीरु सिंह और उनके साथी सैनिक आगे बढे, त्यो ही पाकिस्तानी सैनिकों ने उन पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी l


भारतीय सैनिकों का इस तरह के अचानक आक्रमण से  पाकिस्तानी सैनिको को भय ग्रस्त कर गया l  वे भागने लगे , वे इतनी बुरी तरह डर गए थे कि, उन्होने किशन गंगा नदी में अपने हथियार और गोला-बारुद फेंक दिए l पीरु सिंह के साथ चल रहे अगली पंकती के आधे से अधिक सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए और कुछ साथी घायल हो गए l परंतु   पीरु सिंह थोड़ा भी हतोत्साहित नही हुए l वह आगे बढते गए l हथगोलो और बंदूक की गोलियों से पीरु सिंह ज़ख्मी हो गए थे l परंतु हथगोले और बंदूक की गोलियाँ भी उन्हें
आगे बढने से नही रोक सकी l वह आगे बढते रहे आखिरकार वे एक उंची पर्वत चोटी पर
पहुंच गए, जहाँ से वह दुश्मन की बन्दूको स्तिथी को देख सकते थे l अब तक उनके सभी साथी सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके थे और कुछ सैनिक गंभीर रूप से घायल थे l पीरु सिंह अब अकेले थे l परंतु उन्होन परिस्तिथी को अपने पर  हावी होने नही दिया l वे बिना अधिक सोचे , पाकिस्तानी सैनिकों के खाई  मोर्चा में कूद पड़े l उन्होने पाकिस्तानी बन्दुकधारियो को अपनी बंदूक की संगीन से पीटाई की l  तभी अचानक पाकिस्तान के
एक हथगोले से पीरु सिंह के चेहरे पर गंभीर आघात लगा  l उनके शरीर से रक्त बहने लगा l
दर्द से संघर्ष करते हुए ,खीसक कर खाई से बाहर आने में सफल हो गए l

पीरु सिंह का ध्यान अब दुश्मन की दूसरी स्तिथी पर था l  उन्होने अपने स्टेनगन की जांच की, दुर्भाग्यवश स्टेनगन के कारतूस समाप्त हो चुके थे l  अत: आगे बढने के लिए उन्होने हथगोले फेंके l एक बार फ़िर वे दुश्मन की खाई में कूद पड़े और दो  पाकिस्तानी सैनिकों
को अपनी बंदूक की संगीन से मार-मार कर अधमरा कर दिया l

पाकिस्तान का एक बंकर था, जिसे पीरु सिंह नष्ट करना चाहते थे l उस वक्त उनमें असीम    शक्ति और साहस, उन्हें आगे बढने के लिए प्रेरित कर रही थी l जब वे पाकिस्तान के तीसरे बंकर पर आक्रमण के लिए हथगोला दुश्मनों के बंकर में फेंका, उधर हथगोला फूटा और उसी क्षण उनके सिर में एक गोली लग गई l पीरु सिभ धराशायी हो गए, दुश्मनो ने उन्हें
धकेल कर उसी बंकर में गिरा कर मार डाला l वे वीरगति को प्राप्त हो गए l वह अमर हो गए l कम्पनी हवलदार - मेजर पीरु सिंह को  मरणोपरान्त  परमवीर चक्र से  पुरस्कृत किया गया l
Company Hawaldar-Major

PIRU SINGH SHEKHAWAT

Born on : May 18, 1918

at : Jhunjhunu , Rajasthan.

Unit : 6th Battalion
           Rajputana Rifles
                     परमवीर चक्र
                                                  जय हिन्द - वन्दे मातरम 

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