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Showing posts from October, 2017

परमवीर चक्र [15] फ्लाइंग-ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों

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भारतीय वायुसेना ने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पूर्व और पश्चिम क्षेत्रों में भारतीय वायुसेना बहादुरी से अपने कर्तव्य का निर्वाहन किया। भारतीय वायुसेना 3 दिसम्बर 1971 की रात्रि 11:30 pm आकाश में उड़ान भरी और पाकिस्तानकी चुनौती का सामना किया। बिजली की गति और अदम्य साहस से भारतीय वायुसेना ने बंगलादेश में पाकिस्तान की वायुसेना को पूर्णतः नष्ट कर दीया। यह विध्वंस का कार्य युद्ध आरम्भ होने के बाद मात्र 24 घण्टे के भीतर ही कर दिया गया। इसके तुरंत बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी पोस्ट पर बम गिराने लगे। पाकिस्तान के सैनिकों की गतिविधियों को रोकने के लिए तत्पर हो गई। पाकिस्तान की सप्लाई और पाकिस्तानी सैनिकों के भागने के रास्ते अवरुद्ध कर दिया। उधर पश्चमी क्षेत्र में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी वायुयानों को आकाश में मार भूमि पर गिरा दिए गए। पाकिस्तान के हवाई अड्डों और सैन्य अवस्थानों पर बम गिराए गए। पाकिस्तान के टैंकों और सैनिकों कोलाने वाली गाड़ियों पर बम गिरा कर नष्ट कर दिया गया। भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 के इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के युद्

परमवीर चक्र [14] सेकेण्ड-लेफ़्टिनेंट अरूण खेत्रपाल

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दिसंबर 16, 1971स्थान- शंकरगढ़ शंकर गढ़ के उभरे स्थल पर भारत-पकिस्तान के बीच घमासान टैंकों की लड़ाई हो रही थी।इस युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई थी। पाकिस्तान के विरुद्ध इस युद्ध में भारतीय टैंकों, थल सेना और वायुसेना के सम्मिलित आक्रमण का सकारात्मक परिणाम था। तब भारतीय सेना पाकिस्तान में 19 km. तक भीतर घुस गए थे। शंकरगढ़ का वह उभरा स्थल पाकिस्तानी टैंकों का शमशान बन गया था। इन्हीं लड़ाइयों के दौरान भारतीय टैंकों पर जरपाल में आक्रमण हुआ और तभी अरूण खेत्रपाल को अपने वायरलेस पर वहाँ(जरपाल) से सहायता देने की पुकार सुनाई दिया। यह आवाज़ उनके साथी अधिकारी की थी, जो संकट की स्तिथि में थे और उन्हें अति सीघ्र सहायता चाहिए था। अरूण खेत्रपाल नें शीघ्र उत्तर दिया, " आपके पास ही हूँ और आपके पोस्ट पर पहुंच रहा हूँ।"   अपने साथियों समेत दो टैंकों के साथ उस पोस्ट की ओर कूच कर दिया। वे जरपाल के करीब पहुंचे ही थे कि उनपर पाकिस्तानी तोपों ने आक्रमण करना प्रारंभ कर दिया। अरूण खेत्रपाल बहादुर युवा अधिकारी थे। उनमें जोश, शक्ति और साहस की कमी न थी। अतः उन्हेंनें भी जबाबी कार्यवाई में दुश

परमवीर चक्र [13] मेजर होशियार सिंह

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पठान कोट से जम्मू तक की सड़क भारत -पाकिस्तान सीमा से 20 km. की दूरी पर है l इस सड़क की सुरक्षा के लिए भारतीय सैनिकों को काफी मुस्तैद रहने की आवश्यकता होती है l क्योंकि जम्मू और कश्मीर के लिए यह सड़क जीवन रेखा के समान है l पाकिस्तान ने पहले ही इस क्षेत्र को घेर लिया था lउन्होंने बंकर बना लिया था और गहरी खाई खोद ली थीं ताकि टैंक पकड़ सके l इसके अलावा भी वे अपनी टैंकों और हथियारों को सुरक्षित स्थान पर रख लिया था l पाकिस्तान पूर्ण रूपेण पठान कोट-जम्मू सड़क को काटने की कोशिश में लगा हुआ था l उनका मकसद जम्मू और कश्मीर को अलग करना था लेकिन पाकिस्तान के इस मंसूबे को नाकामयाब करने हेतु भारतीय सेना को शंकर गढ़ क्षेत्र में जाना था l यह क्षेत्र पठानकोट-जम्मू सड़क के सामने 1000 sq. Km. में फैला हुआ है l यह कार्य Dec. 5, 1971 की रात संपन्न हुआ l भारतीय सैनिकों के साथ टैंक और भारी गन थे l भारतीय सैनिकों को कई जगहों पर रुकना पड़ा l अंततः वे Dec. 12,1971 को बीन नदी पर पहुँचे और Dec. 15,1971 को बसन्तर  नदी पर पहुँच गए l गोलन्दाज सैनिकों को आदेश मिला कि वे बसन्तर नदी के उस पार पोस्ट बना ले

परमवीर चक्र [12] लांस नायक एलबर्ट एक्का

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पाकिस्तान में अंदरूनी अशान्ती थी, वहाँ की जनता इस  राजनीतिक अशान्ती से ऊबरने हेतु Dec.1970 में चुनाव करवायाl इस चुनाव के परिणामों से पूर्वी-पाकिस्तान(बंगलादेश) और पश्चमी-पाकिस्तान(वर्तमान) संघर्ष छिड़ गया l पाकिस्तानी फ़ौज को आदेश दिया गया कि , बंगलादेश के इस विद्रोह को खत्म कर दिया जाए l  March 25, 1971:  पाकिस्तानी फ़ौज के द्वारा बंगलादेश में हजारों बंगालीयों को मौत के घाट उतार दिया गयाl पूर्वी पाकिस्तान (बंगलादेश) के बंगाली डर कर वहाँ से भागने लगे l वे सब वहाँ से भाग कर भारत में शरण के लिए आ गएl इन शरणार्थीयों की संख्या बढती गईlदस लाख शरणार्थी भारत के लिए एक गंभीर समस्या बन गई। पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा बंगालियों का कत्लेआम - 1971                                 इसी बीच पूर्वी-पाकिस्तान में चुनाव जीतने वाले जन प्रतिनिधीयों ने April 17, 1971 को बंगलादेश गणतंत्र के निर्माण की घोषणा कर दी। बंगलादेश की स्वतंत्र प्रान्तीय सरकार बन गई और मुक्ति-वाहिनी नाम से एक सैन्य बल तैयार कर लियाl पाकिस्तान की सेना और अधिक अक्रामक आक्रमणकारी होते गए। बंगलादेश के कई स्थानों पर पकिस्

परमवीर चक्र [11] Lt. Col.A.B. Tarapore

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      Lt. Col  Ardeshir Barjorji Tarapore September 8,1965. Time: 0600 hrs. Place: फिल्लौरा, सियालकोट सेक्टर, पाकिस्तान में भारतीय टैंक भारत-पाकिस्तान सीमा को पार कर आगे बढ रहे थे l भारतीय टैंको ने पाकिस्तान पर उत्तर की ओर से आक्रमण कर दिया थाlपाकिस्तानीयों ने यह कदापी नही सोचा था कि भारतीय टैंक धान के खेतों और गन्ने की फसलो को पार करके भारतीय टैंक पाकिस्तान में घुस आएँगे l September 8, 1965 की प्रात: 9 बजे फिल्लौरा से  15 km. दूर पाकिस्तानी टैंको से पहली बार मुठभेड़ हुई l दिनभर लड़ाई चलती रही l उस दिन भारतीय सैनिकों ने बीस पाकिस्तानी टैंक नष्ट किए l  यह युद्ध टैंको की सबसे बड़ी लड़ाई थीl  लेफ्टीनेन्ट ए. बी . तारापोर पूना होर्स के एक अधिकारी थेl उन्होने 11 Sep. से 16 September 1965 तक पाकिस्तान के विरुद्ध टैंको की लड़ाईयां जीती थीl Lt.Col. ए .बी . तारापोर ने पाकिस्तन के क्षेत्र में फिल्लौरा,वज़िरवाली,जस्सोरान और बुतूर डोगरेन्दी पर अधिकार करने में सहायता किया थाl इन स्थानो में टैंको का भीषण युद्ध हुआ था,जिसमें भारत की महत्वपूर्ण विजय हुई थी l तीसरे दिन September 11,1965

परमवीर चक्र [10] कम्पनी क्वार्टर-मास्टर-हवलदार अब्दुल हमीद

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भारत का एक छोटा टुकड़ा पाकिस्तान 1947 में बना l उसके दो वर्ष बाद भारत के प्रथम   प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पाकिस्तान को ' युद्ध नही'  के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने का सुझाव दिया l पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नही किया lबल्कि उसने इसके विपरीत हथियार एकत्र करने हेतु,अमेरिका से मित्रता कर ली l निश्चित रूप से ये हथियार भारत के विरुद्ध प्रयोग किया जाना था l पाकिस्तान में 1958 में सैन्य शासन स्थापित हो गया l 1962 में भारत-चीन सीमा विवाद के बाद, पाकिस्तान ने चीन को मित्र बना लिया l पाकिस्तान का ईरादा भारत को हानि पहुंचाना था l हुआ भी वही 1965 में पाकिस्तान ने अमेरिका से प्राप्त टैंकों और हथियारों के साथ भारत के कच्छ-रन पर आक्रमण कर दिया l जब कच्छ रन का युद्ध समाप्त हुआ तो पाकिस्तान कश्मीर में गड़बड़ी शुरु कर दी l पाकिस्तानी एजेन्ट नागरिको के वेश में गुप्त रूप से कश्मीर भेजे गए l उनका मिशन कश्मीर में उत्पात मचाना , पुल एवं सड़क को ध्वस्त करना था l भारतीय सेना की त्परता से ,ये सभी एजेंट गिरफ़्तार कर लिए गए l September 1965 जम्मू क्षेत्र में  छम्ब पर आक