परमवीर चक्र [15] फ्लाइंग-ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों



भारतीय वायुसेना ने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पूर्व और पश्चिम क्षेत्रों में भारतीय वायुसेना बहादुरी से अपने कर्तव्य का निर्वाहन किया। भारतीय वायुसेना 3 दिसम्बर
1971 की रात्रि 11:30 pm आकाश में उड़ान भरी और पाकिस्तानकी चुनौती का सामना किया। बिजली की गति और अदम्य साहस से भारतीय वायुसेना ने बंगलादेश में पाकिस्तान की वायुसेना को पूर्णतः नष्ट कर दीया। यह विध्वंस का कार्य युद्ध आरम्भ होने के बाद मात्र 24 घण्टे के भीतर ही कर दिया गया। इसके तुरंत बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी पोस्ट पर बम गिराने लगे। पाकिस्तान के सैनिकों की गतिविधियों को रोकने के लिए तत्पर हो गई। पाकिस्तान की सप्लाई और पाकिस्तानी सैनिकों के भागने के रास्ते अवरुद्ध कर दिया।

उधर पश्चमी क्षेत्र में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी वायुयानों को आकाश में मार भूमि पर गिरा दिए गए। पाकिस्तान के हवाई अड्डों और सैन्य अवस्थानों पर बम गिराए गए। पाकिस्तान के टैंकों और सैनिकों कोलाने वाली गाड़ियों पर बम गिरा कर नष्ट कर दिया गया।
भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 के इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के युद्ध-तंत्र को छिन्न-भिन्न कर दिया। भारतीय वायुसेना ने थलसेना और टैंकों की सहायता की। सैनिकों को लाने-ले जाने और सप्लाई की वस्तुओ को युद्ध-स्थल तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई। भारत के वायु क्षेत्र में पाकिस्तानी लड़ाकू विमान के प्रवेश होते ही भारतीय वायुसेना का विमान उस्का पीछा करते और मार गिराते। पाकिस्तानी वायुसेना को अमेरिका से प्राप्त, तीव्र गति से चलने वाला F-86(सेवरजेट) विमान आकार में विशाल और यांत्रिकी दृष्टि से आधुनिक था। इन वायुयानों से लड़ने के लिए भारतीय वायुसेना के पास नैट वायुयान थे। नैट वायुयानों का डिजाइन भारत में ही तैयार किया गया था। नैट वायुयान आकार में छोटे थे। परन्तु वे गति में तीव्र थे । अधिक उंचाई और निचले भागोँ में उड़ सकते थे तथा सभी दिशाओं में मुड़ सकते थे।

दिसंबर 14, 1971 को पाकिस्तानी वायुसेना के छः सेवरजेट लड़ाकू विमान श्रीनगर हवाई अड्डे पर आक्रमण किया। फ्लाइंग-ऑफीसर निर्मल जीत सिंह सेखो नैट वायुयान के पायलट थे। वह पाकिस्तान के सेवरजेट के आक्रमणों को विफल करने के लिए तैयार थे। उनसे पहले एक विमान उड़ चुका था और जिनके कारण रनवे धूल से ढ़क गया। जब तक रनवे साफ होता तब तक पाकिस्तान के छः विमान श्रीनगर हवाई अड्डे पर आक्रमण कर दिया। निर्मल जीत सिंह ने साहस और उम्मीद के साथ उड़ान भरा और शीघ्र ही दुश्मनों के दो वायुयानों को घेर लिया। आकाश में लड़ाई आरम्भ हो गई। सेखों ने चतुराई से उन वायुयानों पर निशाना साधा और उनको सफलता भी मिली। एक पाकिस्तानी वायुयान को टक्कर लगी और निचे की ओर लड़खड़ाते हुए गिरने लगा। दूसरे वायुयान में आग लग गई।

अब पाकिस्तान के चार वायुयानों ने सेखों पर आक्रमण करने लगे। परन्तु सेखों ने कोई भय नही दिखाया। उन्होनें उन चारों वायुयानों की आकाशीय घेराबंदी से निकलने का कोई प्रयत्न नही किया। वे बहुत ऊँचे उड़ सकते थे और उनके फायरिंग से बच सकते थे। उनका नैट वायुयान क्षण में ही बहुत ऊपर उड़ने में सक्षम था। परन्तु उन्होनें लड़ाई जारी रखी। आकाश में ही सेखों पाकिस्तानी वायुयानों के भारी दबाब में आ गए। पर उन्होंने अपनी आन नही छोड़ी। उनका वायुयान टकरा गया - जो पाकिस्तानी वायुयान बच गए, वे सीधा पाकिस्तान सीमा के भीतर ओझल हो गए। इधर सेखों विरगति को प्राप्त हो गए। पाकिस्तान की वायु सेना अपने लक्ष्य में सफल नही हुए। श्रीनगर हवाई अड्डे को बचा लिया गया। फ़्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों को मरणोपरान्त परमवीर चक्र से पुरस्कृत किया गया। भारतीय वायु सेना के वे पहले ऑफिसर थे जिन्हें बहादुरी के लिए राष्ट्र के सर्वोच्च पदक से पुरस्कृत किया गया।

Flying Officer
निर्मल जीत सिंह सेखों
Born: July 17, 1943 
 At: लुधियाना , पंजाब
Unit: No. 18 Squadron (IAF)
Attack on Srinagar Airfield
Indo-Pak War - 1971
Killed in action :
December 14, 1971
                                          जय हिन्द - वंदे मातरम्















Comments

Popular posts from this blog

Experiment to Verify Ohm's Law)

Determination of Focal Length of Concave Mirror and Convex Lens

Tracing Path of a Ray of Light Passing Through a Glass Slab