परमवीर चक्र [12] लांस नायक एलबर्ट एक्का

पाकिस्तान में अंदरूनी अशान्ती थी, वहाँ की जनता इस  राजनीतिक अशान्ती से ऊबरने हेतु Dec.1970 में चुनाव करवायाl इस चुनाव के परिणामों से पूर्वी-पाकिस्तान(बंगलादेश) और पश्चमी-पाकिस्तान(वर्तमान) संघर्ष छिड़ गया l पाकिस्तानी फ़ौज को आदेश दिया गया कि , बंगलादेश के इस विद्रोह को खत्म कर दिया जाए l March 25, 1971: पाकिस्तानी फ़ौज के द्वारा बंगलादेश में हजारों बंगालीयों को मौत के घाट उतार दिया गयाl पूर्वी पाकिस्तान (बंगलादेश) के बंगाली डर कर वहाँ से भागने लगे l वे सब वहाँ से भाग कर भारत में शरण के लिए आ गएl इन शरणार्थीयों की संख्या बढती गईlदस लाख शरणार्थी भारत के लिए एक गंभीर समस्या बन गई।

पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा बंगालियों का कत्लेआम - 1971                                

इसी बीच पूर्वी-पाकिस्तान में चुनाव जीतने वाले जन प्रतिनिधीयों ने April 17, 1971 को बंगलादेश गणतंत्र के निर्माण की घोषणा कर दी। बंगलादेश की स्वतंत्र प्रान्तीय सरकार बन गई और मुक्ति-वाहिनी नाम से एक सैन्य बल तैयार कर लियाl पाकिस्तान की सेना और अधिक अक्रामक आक्रमणकारी होते गए। बंगलादेश के कई स्थानों पर पकिस्तानी फ़ौज से उनका भारी संघर्ष हुआ।
                पाकिस्तानी सेना के द्वारा महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार। 
1971 तक पाकिस्तान ने अपनी सैन्य शक्ति बढ़ा ली। November 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्वी सीमा पर भीषण संघर्ष हुआ। December 3, 1971 को संध्या 5:45 बजे पाकिस्तान के वायुयानों ने भारत के पश्चमी भागों के हवााई अड्डो और सामरिक स्थलों पर आक्रमण किया। प्रधानमंत्री (Smt. Indra Gandhi) उस दिन राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए कहा था कि,"आज बंगलादेश का युद्ध भारत का युद्ध हो गया है - हमारे सामने अब युद्ध के अतिरिक्त कोई दूसरा विकल्प नही है,हमारे देश को युुध्द करना ही होगा। भारत-पाााकिस्तान के बीच यह युद्ध 14 दिनों तक चला।
बांग्लादेश के युवा नागरिकों द्वारा 'मुक्ति वाहिनी सेना' का गठन और सैन्य प्रशिक्षण ताकि वे पाकिस्तानीयों को ख़त्म कर सके। मुक्ति वाहिनी सेना को भारतीय सैनिकों के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
लॉस-नायक एल्बर्ट एक्का :चौदहवें गार्ड के लांस नायक एल्बर्ट एक्का अपने साथी सैनिकों के साथ पाकिस्तान के गंगा सागर पोस्ट पर आक्रमण किया l यह स्थान अगरतला से पश्चिम की ओर छ: किलोमीटर दूर है l यह स्थान अधिक सुरक्षित किया गया था l भारतीय सेना के आगे बढ़ते ही, पाकिस्तान की सेना गोला बारूद की बौछार करने लगे l पर वे आगे की ओर बढ़े जा रहे थे l कुछ दूर तक बिलकुल सन्नाटा पसरा रहा l बहुत चौकन्ने आगे बढ़ रहे थे l सहसा उन्हे मशीन गन की चलने की आवाज सुनाई दी l वे रुक गए l एल्बर्ट एक्का ने देखा कि पाकिस्तानी सैनिक लाइट मशीन गन की बौछार कर रही है l अब उन्हें निर्णय लेने की परिस्थिति आ गई l एल्बर्ट एक्का ने इरादा कर लिया lDecember 6, 1971 को भारत ने 'गणतंत्र बंगलादेश' को मान्यता  प्रदान की l पूर्वी क्षेत्र में भारत और बंगलादेश की संयुक्त कमान स्थापित की गई l December 16,1971 को संध्या 5 बजे पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी क्षेत्र में बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया l पाकिस्तान के 75 हजार सैनिकों और अधिकारियों ने अपने हथियार डाल दिए l उन सभी को बन्दी बना लिया l एक दिन बाद भारत अपनी ओर से पश्चमी क्षेत्र मे युद्ध बन्दी की घोषणा कर दी। भारत अपनी ओर से युद्ध को बढाना नहीं चाहता था। अतः दिसम्बर 17, 1971 को चौदह दिनों से चल रहा यह युद्ध समाप्त हो गया।इस युद्ध में भारतीय सशस्त्र सेना बड़ी बहादुरी से लडे। इस युद्ध में चार भारतीय सैनिकों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।  
अपने अन्य साथियों को वहीं पर अपनी- अपनी  पोजिशन संभालने को कहा और स्वयं अकेले ही दुश्मन के बंकर पर पीछे की ओर से पहुंच गया और धावा बोल दिया l उन्होंने संगीनों से दो पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया l उस ओर से मशीन गन की आवाज़ आनी बंद हो गई l एल्बर्ट एक्का अपने साथियों के साथ आगे बढ़ने लगे l एल्बर्ट और उनके साथियो ने एक के बाद दूसरे बंकर हटाते और उनके पोस्ट को ध्वस्त करते हुए आगे बढ़ रहे थे l भारतीय सैनिकों की टुकड़ी अपने निर्धारित लक्ष्य के अनुसार उत्तरी किनारे पर पहुँचे ही थे कि दुश्मनों ने एक भवन के दूसरी मंजिल से मीडियम मशीन गन से गोलियों की बौछार आरम्भ कर दिया lएल्बर्ट के कुछ साथी वीरगति को प्राप्त हो गए अत: वे आगे बढ़ नहीं पाए l एक बार फिर एल्बर्ट ने गति और साहस से कार्रवाई करने का निर्णय किया l वह ज़ख़्मी हो चुके थे l परन्तु उन्होने अपनी घावों और दर्द की चिंता न करते हुए एल्बर्ट एक्का अपने हाथ में बम लेकर घुटनों के बल रेंगते हुए और कभी-कभी सांप की तरह लेट कर रेंगते हुए बढ़ते गए और उस भवन तक पहुँच गए, जहाँ से मशीनगन की गोलियों की बौछारआय रही थी l एल्बर्ट एक्का अपने लक्ष्य तक पहुंच गए थे, उन्होने पाकिस्तानी बंकर में एक हथगोला फेंक दिया, जिससे एक पाकिस्तानी सैनिक मारा गया और दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया l परन्तु दुश्मन की मीडियम मशीन गन की गोलियों की बौछार चलती रही lएल्बर्ट एक्का घायल हो गए थे और उनके शरीर से रक्त बह रहा था फिर भी वह आगे खिसकते हुए बढ़ते गए l वह एक दीवार पर चढ़ कर बंकर में कूद पड़े l बंकर में घुसते ही उन्होनें अपनी संगीन से पाकिस्तानी तोपची को मार डाला l वह चौकी अब शांत हो गया था l भारतीय सेना का वह बहादुर सैनिक एल्बर्ट एक्का गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उनका शरीर अब और अधिक चोटें सहने योग्य नहीं था l वह गिर गए और वीरगति को प्राप्त हो गए।


लांस-नायक एल्बर्ट एक्का. Born: December  27, 1942. At: Gumla , Jharkhand. Unit: 14 Guards. Battle of Gangasgar. Killed in action: December 3, 1971. भारतीय सेना को अनेक समस्याओं का सामना करना था, क्योंकि बंगाल की भूमि में कई स्थलों पर पानी भरा हुआ था और यहां बहुत नदियां भी थी l इन नदियों पर कमजोर पुल बने हुए थे l अधिकांश पुल पाकिस्तानी सेना ने उड़ा दिया था l पाकिस्तान की सेना सुरक्षित स्थानों पर मोर्चा संभाले बैठे हुए थे l पाकिस्तानी सेना सीमा पर फैल गए थे और आने-जाने के मुख्य मार्ग पर तैनात थे l इसके अलावा पाकिस्तान के सैनिकों नें भूमिगत बंकर बना लिए थे और सुरंगे भी बिछा दी गई थी l यह सभी कार्यवाइयां भारतीय सेना के टैंकों गाड़ियों और सैनिकों की गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से किया गया था l इन सभी कठिनाईयों के बीच भारतीय सेना अपनी युद्ध नीति के साथ आगे बढ़ रही थी,प्रथम चरण में दुश्मनों के संचार - साधनों लाइनें काट दी गई जिससे कि वह सामने के आक्रमण से बचा जा सके l उनकी युद्ध नीति थी कि वे पीछे की ओर से आक्रमण किया जाए और सड़कों से अलग हट कर गलियों में आना जाना शुरू किया जाए l जल धाराओं को उन्होंने वायुयान, हेलिकॉप्टर और नौकाओं से पार किया गया l टूटे हुए पुलों को कूद-कूद कर पार करते आगे बढ़ते गएl पाकिस्तानी सेना के साथ कई बार आमने-सामने की मुठभेड़ हुई l

                                   सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः






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