Posts

Showing posts from September, 2017

परमवीर चक्र [9] मेजर शैतान सिंह

Image
November 18, 1962. Time : 0600 hour. Place :  रिज़न्ग-चुशुल-लद्धाख . Altitude: 4200 m -  5400 m (above sea level )  Region : Himalayan Mountain Range Climate:  Extremely less than freezing point of water i.e( - 45°C ) मेजर शैतान सिंह :   कुमायूँ रेजिमेंट की तेरहवी बटालियन की क्म्पनी 3 की कमान सम्भाले हुए थे l वह एक मुख्य चौकी सम्भाले हुए थे l यह चौकी लद्धाख, रिजान्ग-ला में 5100 मिटर की ऊंचाई पर स्तिथ है l जहाँ बहुत कड़ाके की सर्दी पड़ती है l लगातार तीव्र बर्फिली हवा सैनिकों के लिए कष्ट और चुनौती भरा होता है l                                        शैतान सिंह और उनके साथी सैनिक                              November 18, 1962 को प्रात: 6 बजे लगभग एक हजार चीनी सैनिकों ने रिजन्ग-ला चौकी पर आक्रमण कर दिया l वे दो घंटे जमकर युद्ध किया l चीनी सैनिकों के समतल मैदानी भूमि से आगे बढना आसान था lअब उनका आगे बढना रुक गया l परन्तु वे और अधिक संख्या में फौज, तोपे, राकेट और टैंक के साथ फिर युद्ध क्षेत्र में आ गए   Chinese  Army on the way to  CHUSHUL. (Photo source : China Ti

परमवीर चक्र [8] सूबेदार जोगिन्दर सिंह

Image
सूबेदार जोगिन्दर सिंह :  सिख रेजिमेंट की प्रथम बटालियन में एक अधिकारी थे l वे अपने तीस साथियों के साथ , तवान्ग-नेफा (अरुणाचल प्रदेश) मार्ग में एक महत्वपूर्ण स्थान की सुरक्षा कर रहे थे l हरे-भरे पहाड़ी पर स्तिथ तवान्ग-नेफा में एक प्राचीन बुद्ध मन्दिर है l शायद इसी कारण चीन के सैनिक इस शहर पर अपना अधिकार करना चाहते थे l October 23, 1962 की सुबह 5:30 बजे चीन के सैनिकों ने तवान्ग पर तीन ओर से आक्रमण कर दिया l कुछ मिनटो में ही चीनी सैनिक उस पहाड़ी पर आ गए जहाँ सूबेदार जोगिन्दर सिंह और उनके साथी युद्ध के लिए मोर्चा पर तैनात थे l वे अपने गन के रेंज में उनके आने तक रुके हुए थे l सूबेदार जोगिन्दर के आदेश मिलते ही सिख रेजिमेंट के योद्धाओ ने चीन के सैनिकों को काल कवलित करने लगे l पहली बार के 200 चीनी सैनिकों के धारासायी होते ही , दूसरी 200 चीनी सैनिकों की कतार आगे बढते चले आ रहे थे l जोगिन्दर सिंह और उनके साथी,जितनी तेजी से मशीन गन चलाई जा सकती थी चलाए l गोलियाँ तेजी से दागी जा रही थी l दुश्मन तितर-बितर हो गए l अनेको चीनी सैनिक मारे गए l अंतत: चीन के सैनिक पीछे हट गए lजो

परमवीर चक्र [7] मेजर धानसिंह थापा (भारत-चीन -1962)

Image
" सर्वे भवन्तु सुखिन: , सर्वे सन्तु निरामया: " विश्व-कल्याण का समर्थन करने वाला यह मूल मंत्र, भारत ने संपूर्ण जगत को दिया l सदा निश्चल मन से मित्रता निभाई l भारत सदैव चीन का समर्थन किया था l  भारत को,  "भारत-चीन" मित्रता में अटूट विश्वास था l यह मित्रता 'पंचशील' के सिद्धांतों पर आधारित था l परन्तु  September, 1959 को भारत-चीन सीमा पर अप्रत्याशित अप्रिय घटना घटी l चीनवासियों ने तिब्बत में सैन्य शक्ति एकत्र करने लग गए थे l विश्व का उच्च्तम पठार होने के कारण , तिब्बत सैनिक कार्यवाइयों के लिए महत्वपूर्ण है l तिब्बत में ऐसे बहुत सुरक्षित स्थान थे जहाँ गोला बारुद और हथियार रखने की पुरी व्यवस्था थी l चिनी सेना आसानी से घाटीयों और मैदानो को पार करके भारत वेश कर सकते थे l वहीं भारत को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था l भारतीय सैनिकों के लिए सबसे बड़ी कठिनाई यहाँ की पर्वतीय भूस्थल थीं l और इन्ही पर्वतीय चौकियों पर भारतीय सेना को नियंत्रण करना था l उन चौकियो तक पैदल या फ़िर खच्चरों की सवारी करके पहुंच सकते थेl इस तरह उन्हें अगली चौकी तक पहुंचने में

परमवीर चक्र [6] Captain गुरुबचन सिंह सालारिया [ भारतीय शांति सेना ]

Image
अन्तर्राष्ट्रीय शांति बनाए रखने में, भारतीय सेना  विश्वस्तर पर प्रसिद्धि पाई  है l  संयुक्त राष्ट्रसंघ के निवेदन को स्वीकार करने के बाद , November 1950 में  साठ्वी  फिल्ड एम्बुलेन्स यूनिट को कोरिया भेजा गया l भारतीय सेना का यह प्रथमअन्तर्राष्ट्रय मिशन था भारतीय सेना के लिए यह उतारदायित्व पूर्ण और कठिन कार्य था l परन्तु यह गौरव की बात है कि उन्होने परिस्तिथीयो के अनुकूल स्वयं को ढाल लियाl इन कार्यों के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया गया l भारतीय सैनिकों ने राजनीतिक विवादो में किसी का भी पक्ष नही लिया lप्रत्येक स्थान पर उनकी ईमानदारी और निष्पक्षता के लिए उन्हें सम्मानित किया गया lतीन वर्षों बाद सशस्त्र सेना के सैनिकों और अधिकारियों ने कोरिया में  न्यूट्रल नेशन्स  रिपेट्रीयेशन कमीशन (1953 -1954) में भाग लिया l  इंडियन कस्टोडीयन फोर्स की स्थापना भी इसी वर्ष हुई l इसके साथ ही 1954 में ही भारतीय सशस्त्र सैन्य दलो ने वियतनाम, लाओस और कम्बोडीया में तीन अन्तरराष्ट्रीय नियंत्रण आयोगो की स्थापना हुई संयुक्त राष्ट्र संघ का दूसरा निमंत्रण 1956 में प्राप्त  हुआ l भारतीय सैनिक दस

परमवीर चक्र [5] लान्स नायक करम सिंह

Image
कश्मीर में टीथवाल पर भारतीय सैनिकों ने अपना अधिकार जमा  लिया था l इसी प्रयास में, कम्पनी हवलदार-मेजर पीरु सिंह (6th बटालियन राजपूताना राईफल्स) शाहिद हुए थे l पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को टीथवाल से बाहर निकालने का कई बार प्रयास कर चुके थे l October 13, 1948 को, टीथवाल में भारतीय सैनिकों के अवस्थानो पर पश्चिम और दक्षिण से पाकिस्तानी सैनिकों ने आक्रमण किया l चार घंटे तक घमासान लड़ाई होती रही l पाकिस्तान के सैनिको की स्तिथी क्षत -विक्षत हो गई, वे यत्र-तत्र बिखर गए थे l भारतीय सैनिकों को जो भी मिला उसकी उन्होने जम कर पिटाई की l पाकिस्तान की हार हुई l उन्हें पीछे खदेड़ दिया गया l पाकिस्तानी सैनिकों ने सारे दिन बार-बार आक्रमण करते रहे परन्तु वे भारतीय सैनिकों के व्युह को नही तोड़ पाए l प्रत्येक बार उन्हें पीछे धकेल कर वापस कर दिया l October 13, की लड़ाई में प्रमुख सेनानी थे, लान्स-नायक करम सिंह l वे सिख रेजिमेंट की पहली  बटालियन के योद्धा थे l टीथवाल क्षेत्र के बाहर की एक चौकी की बागडोर करम सिंह के हाँथो में थाl पाकिस्तानी सैनिकों ने उनकी चौकी पर आठ बार आक्रमण क