परमवीर चक्र [7] मेजर धानसिंह थापा (भारत-चीन -1962)
मेजर धानसिंह थापा : आठवीं रेजीमेंट गोरखा राईफल्स की प्रथम बटालियन के एक अधिकारी थे l वह जिस चौकी की कमान सम्भाले हुए थे l वह चौकी लद्दाख में श्रिजप की सबसे अगली चौकी है l बहुत ऊबड़ खाबड़ और तिव्र वायु से प्रभावित पर्वत पर स्तिथ l मेजर थापा के पास बहुत छोटी सैनिक टुकड़ी थी l श्रीजप की यह चौकी बिलकुल अकेली थी l क्योंकि मुख्यालय से सम्पर्क सूत्र टूट चुके थे l October में जब भारतीय मैदानी भूस्थल पर सर्दी प्रारम्भ हो चुकी होती है l उस समय वहाँ कड़ी सर्दी पड़ती है l
October 20, 1962 चीन के आक्रमण का पहला दिन l चीन की फौजो ने भारी गोला बारी की l उन्होने तीन घंटे तक इतनी भयंकर गोलो की बौछार की कि, चौकी आग की
लपटो और धुए के बादलों से ढक गया l मेजर थापा ने अपने साथियोँ को प्रोत्साहित कियाl उन्होने अपने साथियोँ को निर्भय हो कर लड़ने के लिए प्रेरित किया l उनके साथियोँ ने डट कर युद्ध किया l कई अनगिनत चीनी सैनिकों को उन्होने और उनके साथियोँ ने मौत के घाट उतार दिए l आक्रमणकारियो ने युद्ध से मुख मोड़ लिया और वापस हट गये l परन्तु चीन के सैनिक और अधिक संख्या में फ़िर आक्रमण कर दिया l
इस बार थापा के भी कुछ सैनिक मारे गए l उनके सैनिकों की संख्या पहले से ही कम थी l अब और कम हो गए l थापा को मालुम हुआ कि, अभी सब कुछ खत्म नही हुआ है l अभी तो बहुत कुछ बाकी है l उनके सैनिक अभी जीवित है l वे सब एकत्र हुए और सतर्क हो कर तीसरे आक्रमण के लिए तैयार हो कर बैठ गए lकुछ समय के लिए युद्ध रुक गया और एक बहुत डरावनी शांति छा गई l
थापा के अपने विचार सही निकले l चीनी सैनिकों ने तीसरी बार आक्रमण किया l इस बार चीनी सैनिको की सहायता के लिए उनके लाईट (छोटी) टैंक लाए थे l भारतीय गोरखा बाहादुर सैनिकों ने , संख्या में कम होते हुए भी तब तक घमासान युद्ध करते रहे, जब तक उनकी चौकी के एक बाद दूसरे सैनिक वीरगति को प्राप्त नही हो गए और दुश्मन के टैंक
उनके ऊपर से उन्हें कुचलते हुए भारतीय सीमा में प्रवेश न कर गए l
मेजर थापा जान गए कि उनके वीर गोरखा सैनिक अब एक भी नही है l फ़िर भी वह निराश न हो कर , उच्च आत्म त्याग के लिए आगे बढने को तैयार हो गए l वे खाई से उछल कर बाहर आ गए l वे बहुत फुर्तिले और शक्तिशाली थे l उन्हें स्वयं पर पूरा विश्वास था l मेजर थापा कई चीनी सैनिकों को काल कवलित कर दिए l उन्होने बहूत चीनी सैनिकों को काट दिया l कुछ डरे हुए चीनी सैनिक उनके पैरों पर गिर जाते l परन्तुi अंत में उन्हें चीनीयों ने उन्हें दबोच लिया l मेजर धानसिंह थापा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया l जब पुरस्कार की घोषणा की गई तब यह विश्वास कर लिया गया था की वे वीरगति को प्राप्त हो
गए l बाद में पता लगा कि उन्हें चीन में बंदी बना लिया गया है l जब युद्ध का अंत हुआ तब उन्हें स्वागत किया गया
युद्ध के बाद , चीन के द्वारा युद्ध बंदीगृह से मुक्त कर दिये जाने के बाद यूनिट में LT.Col. धानसिंह थापा का स्वागत किया गया l
LT. Col.DHANDINGH THAPA
Born : April 10, 1928
At: Shimla , Himachal Pradesh
Died : September 5, 2005
Unit : 1/8 Gorkha Rifles
Battle: Sino-India War 196Died : September 5, 2005
MEMORIAL SITE OF BATTLE FIELD
निज जीवन से देश बड़ा होता है, जब हम मिटते है तब देश खड़ा होता है.
जय हिन्द - वन्दे मातरम
Comments
Post a Comment