परमवीर चक्र [5] लान्स नायक करम सिंह

कश्मीर में टीथवाल पर भारतीय सैनिकों ने अपना अधिकार जमा  लिया था l इसी प्रयास में, कम्पनी हवलदार-मेजर पीरु सिंह (6th बटालियन राजपूताना राईफल्स) शाहिद हुए थे l
पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को टीथवाल से बाहर निकालने का कई बार प्रयास कर चुके थे l

October 13, 1948 को, टीथवाल में भारतीय सैनिकों के अवस्थानो पर पश्चिम और दक्षिण से पाकिस्तानी सैनिकों ने आक्रमण किया l चार घंटे तक घमासान लड़ाई होती रही l पाकिस्तान के सैनिको की स्तिथी क्षत -विक्षत हो गई, वे यत्र-तत्र बिखर गए थे l भारतीय सैनिकों को जो भी मिला उसकी उन्होने जम कर पिटाई की l पाकिस्तान की हार हुई l उन्हें पीछे खदेड़ दिया गया l पाकिस्तानी सैनिकों ने सारे दिन बार-बार आक्रमण करते रहे परन्तु वे भारतीय सैनिकों के व्युह को नही तोड़ पाए l प्रत्येक बार उन्हें पीछे धकेल कर वापस कर दिया l

October 13, की लड़ाई में प्रमुख सेनानी थे, लान्स-नायक करम सिंह l वे सिख रेजिमेंट की पहली  बटालियन के योद्धा थे l टीथवाल क्षेत्र के बाहर की एक चौकी की बागडोर करम सिंह के हाँथो में थाl पाकिस्तानी सैनिकों ने उनकी चौकी पर आठ बार आक्रमण किया, और प्रत्येक बार उनके सैनिकोंy की संख्या कम होती गई l प्रथम बार के आक्रमण में दस पाकिस्तानी सैनिकों पर एक भारतीय सैनिक का अनुपात था l करम सिंह साथी सैनिकों को उत्साहित करते रहे l वे कहते :--"जब तक हमारे हथियार क्रियाशील रहेंगे हम लड़ेंगे l अपने हथियार निश्कृय होने तक हमें लड़ना हैl अंतिम साँस तक डट कर मुकाबला करना हैl शूरविरो को ही विजय प्राप्त होती हैl"

पाकिस्तान के सैनिक फिर लौटकर आए और इस बार पहले की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली हमला किया,कुछ चौकियों से वे मात्र दस गज़ की दूरी पर थे l प्रथम आक्रमण के  तुरंत बाद यह दूसरा आक्रमण था l इस आक्रमण का भी  मुँहतोड़ जबाब दिया गया l
पाकिस्तान का तीसरा आक्रमण बहुत विध्वन्सातम्क था l परिणाम स्वरूप भारतीय सेना     पोस्ट का एक भी बंकर ठीक-ठाक नही रहा l यह स्तिथी हताश करने वाली थी l इस तरह की चुनौती का सामना शक्ति और साहस से ही किया जा सकता था l
करम सिंह का गोला-बारुद समाप्त हो चुका था, और वे घायल हो चुके थे l उनके कुछ साथी सैनिक भी घायल हो चुके थे l उनके चौकी के चारो ओर दुश्मनों ने आग लगा दी थी, ताकि बाहर से गोला -बारुद की सहायता नही मिले lकरम सिंह एक बंकर से दूसरे बंकर तक गए और अपने सैनिकों का आत्मबल उंचा किया l वे भयंकर रूप से लड़ाई लड़े lपाकिस्तान का पांचवा आक्रमण में पाकिस्तान के दो सैनिक करम सिंह की खाई के किनारे तक आ गए, बिजली की गति से करम सिंह अपने खाई से निकले और दोनो पाकिस्तानी सैनिकों को बंदूक की संगीन से धराशायी कर दिया l

इसके बाद तीन आक्रमण और हुए परन्तु उन्हें विफल कर दिया गया lअंतत: पाकिस्तान के सैनिक पीछे हट गए l करम सिंह की वास्तव में विजय हुई l"विजय  शूरवीर को ही प्राप्त होता है " उन्होने ही कहा था lइस विरता के लिए उन्हें सैन्य-पदक से पहले ही अलंकृत किया गया था l तत्पश्चात उन्हें परमवीर चक्र से पुरस्कृत किया गया l

Lance Naik - KARAM SINGH                             परमवीर चक्र
Born : September 15, 1915
At: Barnala, Punjab
Unit: Sikh Regiment

Died : January 20, 1993.                                                                     
जय हिन्द - वन्दे मातरम 

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