परमवीर चक्र [10] कम्पनी क्वार्टर-मास्टर-हवलदार अब्दुल हमीद

भारत का एक छोटा टुकड़ा पाकिस्तान 1947 में बना l उसके दो वर्ष बाद भारत के प्रथम   प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पाकिस्तान को 'युद्ध नही' के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने का सुझाव दिया l पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नही किया lबल्कि उसने इसके विपरीत हथियार एकत्र करने हेतु,अमेरिका से मित्रता कर ली l निश्चित रूप से ये हथियार भारत के विरुद्ध प्रयोग किया जाना था l

पाकिस्तान में 1958 में सैन्य शासन स्थापित हो गया l 1962 में भारत-चीन सीमा विवाद के बाद, पाकिस्तान ने चीन को मित्र बना लिया l पाकिस्तान का ईरादा भारत को हानि पहुंचाना
था l हुआ भी वही 1965 में पाकिस्तान ने अमेरिका से प्राप्त टैंकों और हथियारों के साथ भारत के कच्छ-रन पर आक्रमण कर दिया l

जब कच्छ रन का युद्ध समाप्त हुआ तो पाकिस्तान कश्मीर में गड़बड़ी शुरु कर दी l पाकिस्तानी एजेन्ट नागरिको के वेश में गुप्त रूप से कश्मीर भेजे गए l उनका मिशन कश्मीर में उत्पात मचाना , पुल एवं सड़क को ध्वस्त करना था l भारतीय सेना की त्परता से ,ये सभी एजेंट गिरफ़्तार कर लिए गए l September 1965 जम्मू क्षेत्र में  छम्ब पर आक्रमण किया l और चार दिन बाद फ़िर पाकिस्तान के वायु सेना ने अमृतसर के पास भारतीय सैनिक अड्डो पर बमबारी की lपाकिस्तान के आक्रमण की आशंका पहले से ही थी l

September 10,1965 की प्रात: 8 बजे पाकिस्तानी गने पंजाब के खेमकर क्षेत्र मेंबौछारें करने लगी l पाकिस्तान के टैंक खेमकरन क्षेत्र में घुसने लगे l पाकिस्तान अपनी ओर से भुमिगत गहरी खाइयां बनाए हुए थे l उन खाइयों से उनके टैंक सीमा तक आ रहे थे l खेमकरन के सपाट खेतों में पाकिस्तानी टैंक आसानी से चल सकते थे l पाकिस्तानी सैनिकों का दबाब बढता जा रहा था l स्तिथी जटील और गंभीर हो गई थी l अब्दुल हमीद इस गंभीर स्तिथी को समझ गए l कम्पनी क्वार्टर-मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, ग्रेनडियर्स की चौथी बटालियन में नियुक्त थेl उस समय उनकी यूनिट खेमकरन सड़क पर मुख्य पोस्ट की सुरक्षा कर रही थी l उन्हें किसी भी हाल में उस पोस्ट की रक्षा करनी ही थी l पाकिस्तान की अक्रमक स्तिथी को भंग करना था l

अत: अब्दुल हमीद ने सैन्य टुकड़ी को अपने साथ किया और एक जीप में सवार हो एक ओर चल दिये l पाकिस्तानी गने एवं टैंक लगातार गोले बरसा रहे थे l परन्तु वे भयभीत नही हुए l एक ओर जा कर उपयोगी पोस्ट बना लिया l वहाँ से वे प्रभावी ढंग से कार्रवाई करने लगे l वह स्थान दुश्मन की नीगाहों से छिपा हुआ था l अब्दुल हमीद सुरक्षित स्थान में थे परंतु दुश्मन उनके चारों ओर थे l वहीं से उन्होने पाकिस्तान का एक प्रमुख टैंक तोड़ दिया l

उन्होने ठान लिया था कि जितना संभव होगा उतना पाकिस्तानी टैंको को नष्ट कर दिया जाए पाकिस्तानी सैनिकों की तुलना में इनकी संख्या बहुत कम थी l फ़िर भी उन्होने पक्का निश्चय कर लिया था कि वे अकेले ही पाकिस्तानी टैंको से लड़ते रहेंगे lअब्दुल हमीद को एक और सफलता मिली, उन्होने पाकिस्तान के एक टैंक पर गोली दागी गोली टैंक की इन्धन टंकी में लगी और टैंक अग्नि की ज्वाला में परिवर्तित हो गया l जो पाकिस्तान के सैनिक टैंक चला रहे थे, टैंक में आग लगते ही भागने लगे और कुछ आग की चपेट में आकर जल गए l

अब्दुल हमीद आगे बढते गए l काफ़ी आगे बढने के कारण पाकिस्तानी सैनिकों ने उनकी स्तिथी(position) जान गए और उनकी जीप पर आक्रमण करने लगें l अब्दुल हमीद ने अपना हौसला कायम रखा l उन्होने दुश्मन का तीसरा टैंक भी तोड़ दिया l जब वे तीसरे टैंक को ध्वस्त करने में व्यस्त थे, तभी उनके जीप को बहुत ज़ोर टक्कर लगी और अब्दुल हमीद उसी स्थान पर वीरगति को प्राप्त हो गए l वास्तव में यही उनकी गौरवशाली विजय थी l उन्होने एक एसा आदर्श प्रस्तुत किया जो उनके साथियोँ के लिए सर्वाधिक प्रेरणादायक था l कम्पनी क्वार्टर-मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद को मरणोपरान्त परमवीर चक्र से पुरस्कृत किया गया l

पाकिस्तान का इस प्रकार बार-बार आक्रमण करना भारत की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देना, प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को कठोर निर्णय लेने बाध्य कर दिया l अंतत: उन्होने भारतीय सेना को आदेश दिया कि भारत-पाकिस्तान की सीमा को लांघा जाए l राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ऐसा करना आवश्यक हो गया है l फ़िर भारत के सैनिकों ने सीमा के पार कई पाकिस्तानी चौकियों और पोस्ट को ध्वस्त करते हुए भितरी पाकिस्तान की ओर बढने लगे l भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच चुके थे l तभी उनको रुक जाने का दूसरा आदेश मिला l पाकिस्तान की करारी हार हुईl यह युद्ध September23,1965 की प्रात: 4 बजे समाप्त हो गया l इस युद्ध में दो परमवीर चक्र प्राप्त किए l



                   कम्पनी क्वाटर-मास्टर-हवलदार अब्दुल हमीद                                   
BORN : July 1 ,1933
At : GHAZIPUR , उत्तर प्रदेश 
UNIT : 4 Grenadiers 
Battle of  Asal Rttar
Indo-Pak war 1965
Killed in action September 10,1965 
                             जय हिन्द - वन्दे मातरम                                                         

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