भारत, दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश, अपने इतिहास में सबसे खराब दीर्घकालिक जल संकट का सामना कर रहा है,

भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश के सात प्रमुख राज्यों में पानी की कमी से निपटने के लिए 60 अरब रुपये ($ 842 मिलियन) की योजना शुरू की जहां कृषि मुख्य आधार है।
भारत, दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश, अपने इतिहास में सबसे खराब दीर्घकालिक जल संकट का सामना कर रहा है, क्योंकि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मांग आपूर्ति से अधिक है, कृषि उत्पादन और समग्र आर्थिक विकास को खतरा है।

2.6 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लगभग हर क्षेत्र पानी पर निर्भर है, विशेष रूप से कृषि, जो भारत के 1.3 बिलियन लोगों के दो-तिहाई लोगों का भरण-पोषण करता है।

“देश में पानी की कमी न केवल व्यक्तियों और परिवारों को प्रभावित करती है; संकट का भारत के विकास पर भी प्रभाव पड़ता है, ”मोदी ने कहा। "हमें संकट के हर एक पहलू से निपटने के लिए नए भारत को तैयार करने की आवश्यकता है।"
मोदी जी के द्वारा शुरू की गई योजना भूजल को फिर से भरने और राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में समग्र उपलब्धता को बढ़ावा देने में मदद करेगी, जो चावल, गेहूं, चीनी और तिलहन जैसे स्टेपल का उत्पादन करते हैं।

भारत कृषि उत्पादों की एक श्रृंखला का दुनिया का अग्रणी उत्पादक है, और कृषि के लिए सिंचाई का लगभग 60% मुख्य रूप से बिजली के पानी के पंपों के माध्यम से भूजल से आता है।

रियायती बिजली किसानों को अधिक पानी पंप करने के लिए प्रोत्साहन देती है, जो विशाल देश में तेजी से घटते जल स्तर के पीछे एक प्रमुख कारण है।

लाखों गरीब लोगों को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति करना और मरणासन्न सिंचाई परियोजनाओं को पुनर्जीवित करना भारत के लिए मोदी की नीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जहां मानसून के कारण लगभग 70% वार्षिक बारिश होती है, जो खेतों को पानी देने और जलभृतों और जलाशयों को रिचार्ज करने के लिए आवश्यक होती है।

भारत की लगभग आधी कृषि भूमि, बिना किसी सिंचाई कवर के, कई फसलों को उगाने के लिए वार्षिक जून-सितंबर की बारिश पर निर्भर करती है।

पीने का पानी भी एक मुद्दा है, क्योंकि हर साल लगभग 200,000 भारतीय सुरक्षित पानी तक अपर्याप्त पहुंच के कारण मर जाते हैं और 600 मिलियन अत्यधिक पानी के तनाव का सामना करते हैं, जैसा कि मोदी की अध्यक्षता वाले थिंक टैंक नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति) आयोग के अनुसार है। .

यूके स्थित चैरिटी वाटरएड के अनुसार, भारत में लगभग 163 मिलियन लोगों - लगभग 12% आबादी - को घर के पास साफ पानी की सुविधा नहीं है।

राजधानी नई दिल्ली, चेन्नई - एक कार बनाने वाला केंद्र जिसे "भारत का डेट्रोइट" कहा जाता है, और देश की सॉफ्टवेयर राजधानी बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में हर गर्मियों में पानी की कमी अधिक तीव्र होती है।

मोदी ने किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को तेजी से अपनाने और जल-प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करने के साथ-साथ चावल और गन्ने जैसी पानी की खपत वाली फसलों से बचने का भी आह्वान किया।
Report by: Indian TIGER 🐯

पीएम नरेंद्र मोदी ने लॉन्च की ‘हर घर नल योजना’, यूपी के 3000 गांवों को मिलेगा फायदा,

  जानें- क्या है स्कीम
इस योजना के तहत 2024 तक सरकार 
देश के ग्रामीण इलाकों में हर एक घर में पीने के पानी का कनेक्‍शन देगी। इसके तहत घरों तक पानी पहुंचाने के लिए इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर तैयार किया जाएगा।

पीएम नरेंद्र मोदी ने यूपी में ‘हर घर नल योजना’ को रविवार को लॉन्च किया। इस स्कीम को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर और सोनभद्र क्षेत्र के 3,000 गांवों के लिए लॉन्च किया गया है। इस मौके पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सोनभद्र में थे, जबकि पीएम मोदी ने दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए योजना की लॉन्चिंग की। इस स्कीम के तहत 5,555.38 करोड़ रुपये खर्च होंगे और दो जिलों की 41 लाख आबादी को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा। पीएम मोदी ने स्कीम की लॉन्चिंग करते हुए कहा, ‘यह क्षेत्र संसाधनों से भरपूर है, लेकिन आजादी के बाद से अब तक नजरअंदाज किया गया है। क्षेत्र में कई नदियां होने के बाद भी यहां सूखे की समस्या रही है। हालांकि इस सरकार ने पानी की किल्लत को दूर करने के लिए काम किया है और इसी तहत आज ‘हर घर नल योजना’ की शुरुआत की जा रही है।’

सरकार के मुताबिक इस स्कीम के तहत 2,995 गांवों को पाइपलाइन के जरिए पानी की सप्लाई की जाएगी। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक 398 गांवों को ही पाइप वाटर सप्लाई के तहत कवर किया गया था। अब जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल योजना को लॉन्च किया गया है और इससे 2,995 गांवों के लोगों को पानी मिल सकेगा। इस स्कीम के तहत मिर्जापुर के 21,87,980 ग्रामीणों को जोड़ा जाएगा।

इसके अलावा सोनभद्र के 19,53,458 ग्रामीणों को इस स्कीम का लाभ मिलेगा। स्कीम के तहत झीलों और नदी के पानी का शुद्धिकरण किया जाएगा और फिर उसे सोनभद्र में रहने वाले परिवारों तक सप्लाई किया जाएगा। सोनभद्र में इस स्कीम पर 3212 करोड़ रुपये खर्च होने वाले हैं, जबकि मिर्जापुर जिले में इस स्कीम पर 2343 करोड़ रुपये की रकम खर्च की जाएगी। जल शक्ति मंत्रालय के इंजीनियरों के मुताबिक इस स्कीम से दोनों जिलों के 41 लाख से ज्यादा लोगों को फायदा मिलेगा। अगले दो सालों में इस पर काम पूरा हो जाएगा।

जानें, क्या है स्कीम का मकसद: इस योजना के तहत 2024 तक सरकार देश के ग्रामीण इलाकों में हर एक घर में पीने के पानी का कनेक्‍शन देगी। इसके तहत घरों तक पानी पहुंचाने के लिए इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर तैयार किया जाएगा। इससे लोगों को घर पर ही पीने का साफ पानी मिलेगा और उन्‍हें कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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