विश्व आर्थिक फ़ॉरम स्विट्ज़रलैंड

विश्व आर्थिक फ़ॉरम स्विट्ज़रलैंड में स्थित एक ग़ैर-लाभकारी संस्था है। इसका मुख्यालय कोलोग्नी में है। स्विस अधिकारीयों द्वारा इसे एक निजी-सार्वजनिक सहयोग के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। इसका मिशन विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को एक साथ ला कर वैशविक, क्षेत्रीय और औद्योगिक दिशा तय करना है।
2002 में विश्व स्वास्थ्य पहल के अन्तर्गत इस संस्था ने सार्वजनिक-निजी क्षेत्रों के सहयोग से एच•आई•वी / एड्स, टुबेरकोलोसिस और मलेरिया जैसी बिमारियों को दूर करने की पहली कोशिश की थी। विश्व शिक्षा पहल के अन्तर्गत भारत, मिश्र और जॉर्डन के सरकारों और सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी का मिलन करवा कर कम्प्यूटर और इ-लर्निंग का विस्तार करने का बीड़ा उठाया था। पार्टनरिंग अगेंस्ट करप्शन पहल के तहत 140 कम्पनी ने आपस में मिल कर अपने साथ हुए भ्रष्ट कार्यकलापों को बाँटा और ऐसी परिस्थितयों से निपटने के उपाय पर विचार करने लगे।
इस मंच की स्थापना 1971 में यूरोपियन प्रबन्धन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम श्वाब द्वारा की गई थी। उस वर्ष यूरोपियन कमीशन और यूरोपियन प्रोद्योगिकी संगठन के सौजन्य से इस संगठन की पहली बैठक हुई थी। इसमें प्रोफेसर श्वाब ने यूरोपीय व्यवसाय के 444 अधिकारीयों को अमेरिकी प्रबन्धन प्रथाओं से अवगत कराया था। वर्ष 1987 में इसका नाम विश्व आर्थिक फ़ॉरम कर दिया गया और तब से अब तक, प्रतिवर्ष जनवरी महीने में इसके बैठक का आयोजन होता है। प्रारम्भ में इन बैठकों में प्रबन्धन के तरीकों पर चर्चा होती थी। प्रोफेसर ने एक मॉडल बनाया था जिसके अनुसार सफल व्यवसाय वही माना जाता था जिसमें अधिकारी अंशधारी और अपने ग्राहकों के साथ अपने कर्मचारी और समुदाय जिनके बीच व्यस्वसाय चलता है, उसका भी पूरा खयाल रखते हैं। वर्ष 1973 में जब नियत विनिमय दर से विश्व के अनेक देश किनारा करने लगे और अरब-इजराइल युद्ध छिड़ने के कारण इस बैठक का ध्यान आर्थिक और सामाजिक मुद्दों की और मुड़ा और पहली बार राजनीतिज्ञों को इस बैठक के लिए निमंत्रित किया गया। रजनीतज्ञों ने इस बैठक को अनेक बार एक तटस्थ मंच के रूप में भी इस्तेमाल किया। 
1988 में ग्रीस और तुर्की ने यहीं पर आपसी यूद्ध को टालने का एलान किया था। 1992 में रंगभेद नीति को पीछे रखते हुए, तत्कालीन दक्षिण अफ़्रीकी राष्ट्रपति और नेल्सन मंडेला, जिन्होंने रंगभेद नीति के विरोध में जीवन पर्यन्त संगर्ष किया था, पहली बार सार्वजनिक रूप से एक साथ देखे गए थे। 1994 में इजराइल और पलेस्टाइन ने भी आपसी सहमति से मसौदे पर मुहर लगाई थी।
इस फ़ॉरम की सर्वाधिक चर्चित घटना वार्षिक शीतकालीन बैठक में होती है जिसका आयोजन दावोस नामक स्थान पर किया जाता है। इस आयोजन में भागीदारिता सिर्फ निमंत्रण से होती है और इसकी ख़ास बात यह है की इस छोटे शहर में भागिदार अनौपचारिक परस्पर बातचीत में अनेक समस्याओं का समाधान निकला जाता है। इस बैठक में लगभग 2,500 लोग भाग लेते हैं जिसमें विश्व जगत के, अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिज्ञ, गिने चुने बुद्धिजीवी और पत्रकार प्रमुख होते हैं। इसमें उन विषयों पर चर्चा होती है जिस पर विश्व समुदाय की चिंतन अत्यावश्यक मानी जाती है। उदहारण के लिए, 2012 में इस बैठक में "महान परिवर्तन: नए प्रतिरूप',2014 में 'लचीला गतिशीलता', 2014 में 'विश्व का पुनर्निर्माण-समाज, राजनीति और व्यवसाय के लिए परिणाम' और 2015 में "नए वैश्विक सन्दर्भ' पर वार्षिक बैठक हुई थी। वर्ष 2007 में इस संस्था ने एक ग्रीष्मकालीन वार्षिक बैठक का आयोजन प्रारम्भ किया। इसका आयोजन चीन के दो सहारों के बीच बारी बारी से किया जाता है। इसमें लगभग 1500 सहभागी आते हैं और वे अधिकतर तेजी से बढ़ते आर्थिक व्यवस्थाएं अर्थात चीन, भारत, रूस, मेक्सिको और ब्राज़ील- से आते हैं। यह वह लोग होते हैं जो अगली पीढ़ी की युवा उद्योगपति अथवा राजनीतिज्ञ जो अपनी सोच और विचारों से दुनिया को अवगत कराते हैं और जो आने वाले समय में विश्व मंच पर महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा। 
यह संस्था इस बात से भली भांति परिचित है की क्षेत्रीय विचारधारा सम्पूर्ण विश्व के लिए लाभकारी होती है क्योंकि इन विचारों में स्थानीय स्थिति का समावेश होता है। इसे ध्यान में रख कर यह संस्था क्षेत्रीय मीटिंग का भी समय समय पर अफ्रीका, पूर्वी एशिया, लातिनी अमरीका और मध्य पूर्व के देशों में मीटिंग आयोजित करती है। इन सभाओं में नीतिगत व्यापार के नायक, स्थानीय सरकार के नायक और गैर-सरकारी संस्थाओं का मिलन होता है और उस क्षेत्र में उन्नति के लिए आवश्यक कार्य और उसकी दिशा पर चर्चा होती है। यह संस्था ८०० लोगों का युवा विश्व नेता फ़ॉरम का संचालन भी करता है। वर्ष २००७ से संस्था ने सामजिक उद्यम्यिों को अपने क्षेत्रीय और वार्षिक सम्मलेन में आमंत्रित करना प्रारम्भ किया। इसका औचित्य यह था कि विश्व भर में इस बात की विवेचना हो की किसी भी उन्नति और प्रगति से समाज के सभी वर्गों को एक सा लाभ पहुँचना चाहिए और समाज में होने वाली क्षति को पहले ही भाँपा जा सके। वर्ष २०११ में इस संस्था ने एक संजाल बनाया जिसमें २०-३० वर्ष के आयु के लोगों को मिलाने की पहल की गए जिनमें विश्व को नई दिशा दिखाने की क्षमता थी।
इस संस्था की सदस्यता अनेक स्तर पर होती है और ये स्तर उनकी संस्था के कार्य कलापों में सहभागिता पर निर्भर करती है। सदस्यता के लिए वह कम्पनी जाते हैं जो विश्व भर में अपने उद्योग में अग्रणी होते हैं अथवा किसी भौगोलिक क्षेत्र के प्रगति में अहम भूमिका निभा रहे होते हैं। कुछ विकसित अर्थव्यवस्था में कार्यरत होते हैं या फिर विकसशील अर्थव्यवस्था में।

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