हलधर नाग

साहब मेरे पास दिल्ली जाने के लिए पैसे नहीं है कृपया पुरस्कार डाक से भेज दीजिये'| ''यह शब्द है पद्यमश्री पुरस्कार विजेता हलधर नाग के | 
हलधर नाग के पास 3 जोड़ी कपड़े एक टूटी हुई रबर की चपल एक रिमलेश चश्मा और 732 रूपये की जमा राशि ,उन्हें पधमश्री से सम्मानित किया गया | हलधर नाग का जन्म 31 मार्च 19 50 में उड़ीसा के बाड़ गर जिले में हुआ था वे बहुत ही गरीब परिवार से थे तीसरी कक्षा में जब वे पढ़ रहे थे तो उनके पिता जी का देहांत हो गया ,पढ़ाई छोड़कर हलधर नाग होटल में बर्तन धोने का काम करने लगे दो साल के बाद एक सज्जन व्यक्ति उन्हें स्कूल में खाना बनाने का काम दिए 16 साल तक इस काम को करने के बाद उन्होंने एक बैंकर से मिलकर 1000 रूपये बैंक से लोन लिए और स्कूल के पास स्टेनरी का दुकान खोल दिए उसी से उनका गुजरा चलता रहा
इस दौरान वे कुछ न कुछ लिखते रहते थे ,उन्होंने अपने लिखने का शौक को मरने नहीं दिया ये बात थी उनकी माली हालत की | 1990 में उन्होंने अपनी पहली कविता कोसली भाषा में धोरो बरगज एक स्थानीय पत्रिका में छापने को दिए इसके साथ चार और कविताऐं दिए सभी कविताये छपी भी और सराहा भी गया लेकिन अभी भी जिस मुकाम तक पहुंचना था वो बाकी था कहा जाता है 
1995 में राम सवारी जैसे धार्मिक पुस्तके लिखकर लोगो को जागरूक किये पहले तो लोगो को जबरस्ती सुनाया अपनी कविताये। 2016 आते -आते इतने लोकप्रिय होगये ,की सरकार ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा उनकी सभी कविताये प्रकृति ,समाज ,पौराणिक कथावो और धर्म पर आधारित रहते है वे अपनी कविताओं के माध्यम से समाजिक सुधार के लिए तत्प्र रहते है उड़ीसा में लोक कवि रत्न के नाम से मशहूर हलधर नाग सफेद धोती ,गमछा ,गंजी पहने पुरस्कार लेने नगें पाव राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो सबकी आँखे फटी की फटी रह गई | 
आपको बतादे जिन्होंने मात्र तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की उनके साहित्य पर कई छात्र p h d कर रहे है हमे गर्व ऐसे विभूति पर जिनका लक्ष्य पैसा कमाना नहीं रहा बल्कि ज्ञान अर्जन कर लोगो के बीच उसका प्रकाश फैलाना रहा हलधर नाग जी ने अपने काव्यों से साहित्य जगत को समृद्ध किया |

Comments

Popular posts from this blog

Experiment to Verify Ohm's Law)

Determination of Focal Length of Concave Mirror and Convex Lens

Tracing Path of a Ray of Light Passing Through a Glass Slab