Chhatrapati Sambhaji

SHOORVEER A TRIBUTE TO छत्रपती संभाजी महाराज SONG LYRICS
कथा यह है महाराज मेरे कि
हिन्द का अमर उजाला था
आन पे कर दिये प्राण न्यौछावर
लहूँ में जिसके ज्वाला था

रणधीर वीर तुफान चीर
मेरे छत्रपती महाराज संभाजी
बोले अतीत शत्रु अधीर
जब चलते थे महाराज सभाजी

खर खज़र भर ज्वाला अंदर
हवा से घोडे उड़ते थे
मृत्यु करती तांडव रण में 
जब मर्द मराठा लड़ते थे

चिंघाड़ सनातन कि गुंजी
और ध्वज केसरी लहरे थे
ठोर ठोर थे घोर घाव
और लहू से लथपथ चेहरे थे

महाराज मेरे महाराज मेरे है
छत्रपती महाराज सभाजी
रक्त रवानी रगो में ऐसी
रण में तप से आग लगादी

महाराज मेरे महाराज मेरे है
छत्रपती महाराज सभाजी
रक्त रवानी रगो में ऐसी
रण में तप से आग लगादी

ले साठ किलो तलवार युद्ध में
शस्च शास्त्र विधवान खुद में
साथ कलश का हाथ दुख में
अमर हो गये नाम जुग में

काटता गर्दन गठबंधन वो माना ना
कभी सर को झुकाना जाना ना
कभी माना ना

स्वराज का सपना पाला था
काँपे दुश्मन काँपे शंभु राजे केसरी साजे
खाली करके इलाके भागे
शत्रु क्षेत्र में गाजे बाजे राजे

हाँ लडी लड़ाई 120
लिया रामनगर रायगढ़ भी जीत
थी भिन्न भिन्न भाषा कि सीख
आमेर से समझी राजनीत

ना क्षणभर थमकर जमकर बरसे
गड़ गड़ सर धर दर दर बिखरे
साँसो को तरसे भागे थे डर से
ले तलवार महाराज जो निकले

शिव शंकर के ध्यानी थे
त्याग कि अमर कहानी थे
वो हिन्दु वीर वो धर्म वीर
वो शौर्य कि परम निशानी थे

महाराज मेरे महाराज मेरे है
छत्रपती महाराज सभाजी
रक्त रवानी रगो में ऐसी
रण में तप से आग लगादी

महाराज मेरे महाराज मेरे है
छत्रपती महाराज सभाजी
रक्त रवानी रगो में ऐसी
रण में तप से आग लगादी
( संगीत )
क्रुर औरंगजेब अन्याय त्याचे अनेक
प्याद्यामागुन झाकत होता
त्याने सिंह पाहिला होता
हत्तीचे साखळदंड
शंभुराजे तरी ना वाके
शिवरायांचे ते रक्त शंभुराजे तरीही सक्त

ऐसा सिंह जाहला होता
ज्याने तक्त हलविला होता
ऐसा सिंह जाहला होता
ज्याने तक्त हलविला होता

औरंगजेब दे घुटने टेक
जब खाली हाथ लौटा हुसैन
चाहे येन केन कोई प्रकारेण
पकडु उसको लु सुख और चैन

किस्मत पलटी नियत बदली
गणोजी शिर्के ने भेद दिया
देख के मौका करके धोखा
वीर निहत्था घेर लिया

महाराज को बाँध फिर
उल्टा ऊँट पे मार मार के घाव दिये
आँखे नोची पसली तोड़ी
सरीयों से शरीर को दाग दिये

फिर काट हाथ और पैर साथ
नाखून बाल भी ऊखाड दिये
फिर बदन पे झोंकी जलती सलाखें
वीर ना फिर भी आह करे

चेहरे पे अय का भाव नही
चाहे आँखो में प्रकाश नही
तन से बढकर है धर्म सदा
झुकने सें गहरा घाव नही

स्वराज में जीना बान यही
है मान से बढ़कर प्राण नही
पूजे दुनिया वीरो कि चिता
कायर का कही सत्कार नही

महाराज मेरे महाराज मेरे है
छत्रपती महाराज सभाजी
रक्त रवानी रगो में ऐसी
रण में तप से आग लगादी

महाराज मेरे महाराज मेरे है
छत्रपती महाराज सभाजी
रक रवानी रगो में ऐसी
रण में तप से आग लगादी

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