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आज के हिसाब से अपने आप को अपडेट रखना कितना जरूरी है?

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आज के हिसाब से अपने आप को अपडेट रखना कितना जरूरी है? आजकल के समय में अपडेट रहना ,स्वयं को अपडेट रखना जरूरी है। स्वयं को अपडेट रखेंगे तो नए ज़माने, नई पीढ़ी के साथ कदम मिलाकर आगे बढ़ सकते हैं । समय किसी का इंतज़ार नहीं करता….. जो अपडेट नहीं होता वो समय से पीछे रह जाता है। एक साधारण सा उदाहरण के साथ अपनी बात बताने का प्रयास….. यह तस्वीर लगभग 46 साल पुरानी चर्चित फिल्म "मुकद्दर का सिकंदर" के बहुत प्रसिद्ध गाने की है - इस तस्वीर पर ध्यान दीजिए… इसमें "तब" के 4 "नामी गिरामी" दिखेंगे प्रीमियर पद्मिनी 🚗 चेतक स्कूटर🛵 राजदूत मोटरसाइकिल🏍  और अमिताभ बच्चन 😎 आज इनमें से केवल एक अपनी पुरानी शान को बरकरार रख पाया है, बाकी तो लगभग गायब हैं... सोचिए क्यों? क्योंकि ..... अपडेशन जरूरी.. वर्ना जो समय के साथ खुद को अपडेट नहीं करता वो किनारे लगा दिया जाता है🤷‍♀️ अमिताभ ने वक्त को समझा, खुद को लगातार अपडेट करते रहे....आज भी रेस में बरकरार हैं👍 जबकि बाकी निर्जीव होकर भी मार्केट में सलामत नहीं रह पाए क्योंकि इनको अपडेट करने से परहेज़ रखा अर्थात उनको अपडेट नहीं क

आधी जानकारी

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एक बार एक विमान का एक सफाईकर्मी सफाई कर रहा था . विमान में उसके अलावा कोई नहीं था.सफाई के दौरान उसके हर्ष का ठिकाना ना रहा, जब उसने विमान के कॉकपिट में एक किताब देखी, जिसका शीर्षक था, * मात्र एक दिन मे प्लेन उड़ाना कैसे सीखें * उसकी बचपन की दबी इच्छा शायद आज पूरी होने वाली थी. उसने पहला पृष्ठ खोला: "इंजन स्टार्ट करने के लिए, लाल बटन दबाएं .." उसने ऐसा ही किया, और हवाई जहाज का इंजन चालू हो गया .. वह खुश हुअा और अगले पृष्ठ को खोला ... "हवाई जहाज को चलाने के लिए, नीला बटन दबाएं .." उसने ऐसा किया और विमान ने एक अद्भुत, अविश्वसनीय गति से आगे बढ़ना शुरू कर दिया ... मगर वह तो उड़ना चाहता था उड़ना, इसलिए उसने तीसरा पृष्ठ खोला जिसमें कहा गया था: *हवाई जहाज को उडा़ने के लिए, कृपया हरा बटन दबाए.* उसने ऐसा किया और विमान उड़ने लगा। वह उत्साहित था ... !! उड़ान भरने के 20 मिनट बाद, वह संतुष्ट था और अब उतरना चाहता था इसलिए उसने चौथे पेज पर जाने का फैसला किया ... चौथे पेज मे लिखा था, *आप विमान उड़ाने मे पारंगत हो चुके हैं. अब अगर आप यह भी सीखना चाहते हों कि किसी उड़ते वि

मेरा #गांव अब उदास रहता है.

मेरा #गांव अब उदास रहता है.. ✍️ लड़के जितने भी थे मेरे गांव में। जो बैठते थे दोपहर को आम की छांव में। बड़ी रौनक हुआ करती थी जिनसे घर में  वो सब के सब चले गए शहर में। ऐसा नही कि रहने को मकान नही था। बस यहां रोटी का इंतजाम नहीं था। हास परिहास का आम तौर पर उपवास रहता है। मेरा #गांव अब उदास रहता है।। बाबू जी ठंड में सिकुड़े और पसीने मे नहाए थे। तब जाकर तीन कमरे किसी तरह बनवाए थे। अब तीनों कमरे खाली हैं मैदान बेजान है। छतें अकेली हैं गलियां वीरान हैं।। मां का शरीर भी अब घुटनों पर भारी है। पिता को हार्ट और डाईविटीज की बीमारी है। अपने ही घर में मां बाप का वनवास रहता है। मेरा #गांव अब उदास रहता है।। छत से बतियाते पंखे, दीवारें और जाले हैं। कुछ मकानों पर तो कई वर्षों से तालें हैं।। बेटियों को ब्याह दिया गया ससुराल चली गई। दीवाली की छुरछुरी होली का गुलाल चली गई। मोहल्ले मे जाओ जरा झांको कपाट पर। बैठे मिलेंगे अकेले बाबू जी, किसी कुर्सी किसी खाट पर।। सावन के झूले उतर गए भादों भी निराश रहता है। मेरा #गांव अब उदास रहता है।। कबड्डी वालीबाल अंताक्षरी, सब वक्त की तह में दब गए। हमारे गांव के लड़के कमाने

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस-2024 के बारे में

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राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस-2024 के बारे में भारत 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश और उसके दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में पहुँचने वाला पहला देश बन गया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि का सम्मान करने के लिए, माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 23 अगस्त को "राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस" के रूप में घोषित किया। भारत 23 अगस्त, 2024 को अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस [NSpD-2024] मना रहा है, जिसका विषय "चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा" है। अंतरिक्ष में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धियों, समाज को होने वाले गहन लाभों और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ने के लिए सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए असीम अवसरों को उजागर करने वाले असंख्य कार्यक्रम होंगे। ये समारोह 23 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली में मुख्य कार्यक्रम के साथ समाप्त होंगे। About National Space Day-2024 India became the fourth country to land on the moon and the first to reach its southern polar region on August 23, 2023. To honour this landmark achievement, Hon'ble Prime Minister Shri Narend

National Space Day on August 23, 2024,

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23 अगस्त, 2024 को पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने के लिए, भारत सरकार भारत के अंतरिक्ष मिशनों की उल्लेखनीय उपलब्धियों को उजागर करने और देश के युवाओं को प्रेरित करने के लिए एक महीने का अभियान शुरू कर रही है। इस वर्ष के उत्सव का विषय "चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा" है, जो समाज और प्रौद्योगिकी पर अंतरिक्ष अन्वेषण के गहन प्रभाव पर जोर देता है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने का उद्देश्य भारत सरकार ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का सम्मान करने के लिए आधिकारिक तौर पर 23 अगस्त को "राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस" घोषित किया है, जिसने 'शिव शक्ति' बिंदु पर विक्रम लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग की और 23 अगस्त, 2023 को चंद्र सतह पर प्रज्ञान रोवर को तैनात किया। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस अंतरिक्ष अन्वेषण में महत्वपूर्ण उपलब्धियों को मान्यता देता है और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में प्रगति को उजागर करता है। यह दिन छात्रों के बीच अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रुचि पैदा करके और उन्हें रोल मॉडल प्रदान करके भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए स

40 की उम्र तक आपको यह समझ आ जाना चाहिए

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40 की उम्र तक आपको यह समझने के लिए पर्याप्त समझदार हो जाना चाहिए: 1. कोई व्यक्ति 9-5 की नौकरी में आपसे 10 गुना ज़्यादा कमाता है क्योंकि उसके पास अपने काम से ज़्यादा "लीवरेज" होता है। 2. ध्यान भटकाना सफलता का सबसे बड़ा हत्यारा है। यह आपके दिमाग को अवरुद्ध और नष्ट कर देता है। 3. आपको ऐसे लोगों से सलाह नहीं लेनी चाहिए जो जीवन में उस मुकाम पर नहीं हैं जहाँ आप पहुँचना चाहते हैं। 4. कोई भी आपकी समस्याओं को बचाने नहीं आ रहा है। आपका जीवन 100% आपकी ज़िम्मेदारी है। 5. आपको 100 सेल्फ़-हेल्प किताबों की ज़रूरत नहीं है, आपको बस कार्रवाई और आत्म-अनुशासन की ज़रूरत है। 6. जब तक आप कोई ख़ास हुनर सीखने के लिए कॉलेज नहीं गए (जैसे कि डॉक्टर, इंजीनियर, वकील), आप सिर्फ़ बिक्री सीखकर अगले 90 दिनों में ज़्यादा पैसे कमा सकते हैं। 7. कोई भी आपकी परवाह नहीं करता। इसलिए शर्मीलेपन को रोकें, बाहर जाएँ और अपने मौके बनाएँ। 8. अगर आपको कोई आपसे ज़्यादा होशियार लगता है, तो उसके साथ काम करें, प्रतिस्पर्धा न करें। 9. धूम्रपान से आपके जीवन में कोई फ़ायदा नहीं है। यह आदत सिर्फ़ आपकी सोच को धीमा करेगी

संत तुलसीदासजी जयंती

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संत तुलसीदासजी जयंती संतों ने एक स्वर से घोषणा की है कि जीव का परम पुरुषार्थ एकमात्र भगवद्प्रेम ही है । शेष जो चार पुरुषार्थ हैं, उनमें किसी-न-किसी रूप में ‘स्व’ सर्वथा लगा ही रहता है । एक भगवद्प्रेम ही ऐसा है जिसमें ‘स्व’ भी सर्वथा समर्पित हो जाता है, विलीन हो जाता है । प्रारम्भ से ही संतों की यह प्रेरणा रही है कि ‘सभी जीव उसी अनन्त भगवद्प्रेम की प्राप्ति के लिये सचेष्ट हों और उसे प्राप्त कर लें…’ और वे अपनी अन्तरात्मा से पूर्ण शक्ति से इसके लिए प्रयत्न करते रहे हैं । योग, कर्म, ज्ञान, ध्यान, जप, तप, विद्या, व्रत सब का एकमात्र यही उद्देश्य है कि भगवान के चरणों में अनन्य अनुराग हो जाय । वेदों ने भगवान के निर्गुण-सगुण स्वरूप की महिमा गाकर यही प्रयत्न किया है कि सब लोग भगवान से प्रेम करें । शास्त्रों ने सांसारिक वस्तुओं का विश्लेषण करके उनकी अनित्यता, दुःखरूपता और असत्यता दिखलाकर उनसे प्रेम करने का निषेध किया है और केवल भगवान से ही प्रेम करने का विधान किया है । यह सब होने पर भी अनादि काल से माया-मोह के चक्कर में फँसे हुए जीव भगवान की ओर जैसा चाहिए उस रूप में अग्रसर नहीं हुए ।