मुसलमान कभी बेरोजगारी का रोना नहीं रोते
मैं हिंदू हूं *मुसलमान कभी बेरोजगारी का रोना नहीं रोते* साथ ही बेरोजगारी के कारण * आत्महत्या * भी नहीं करते जबकि *हिन्दुओं* के बच्चे ही रोना रोते हैं *बेरोजगारी* का कारण क्या है नीचे पढ़िये *एक हिन्दू लड़का मेरे पास आया और बोला- भैया मैं बेरोजगार हूँ, कहीं नौकरी नहीं मिल रही है, बहुत परेशान हूँ। आप ही बताइये सरकार ने कहा था कि हर साल लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा, सात साल होने को जा रहे हैं, नहीं मिला। * कुछ भी मैंने उससे कुछ प्रश्न पूछे और सारे प्रश्नों का जबाब इस प्रकार रहा... तुम टेलरिंग/कटिंग (दर्ज़ी) का काम करोगे? *नहीं !* लेडीज़ ब्यूटी पार्लर पर काम करोगे ? *नहीं !* तो मर्दों के नाई (बार्बर) बन जाओ ? *नहीं !* हलवाई का काम कर लो? *नहीं !* बढ़ई (कारपेंटर) का काम करलो ? *नहीं !* लुहार का काम करोगे ? *नहीं !* खराद मशीन पर काम करोगे ? *नहीं !* वेल्डिंग कर सकते हो? *नहीं !* ग्राफिक डिज़ाइन का कुछ काम आता है ? *नहीं !* कबाड़ी का काम कर लो ? *नहीं !* सब्जी/फ्रूट का धंधा कर लो ? नहीं !* बाइक रिपेरिंग आती है ? *नहीं !* अकाउंट का काम आता है ? *नहीं !...