Friday, 17 November 2023

आज से 1600 साल पहले

आज से 1600 साल पहले पूरी दुनिया से स्टूडेंट्स भारत आते थे ताकि वे नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर सकें। आर्यभट्ट, जगदीश चंद्र बोस, सीवी रमन, होमी भाभा...ये भारत के वो नगीने हैं जिन्होंने भारत का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया है।
मैं अपने जीवन में जब पहली बार विदेश गया तो अमेरिका गया, वहां मुझे सस्ते इक्विपमेंट, फंडिंग और अमेरिका को देखने का मौका मिला।

उनकी स्पीड, उद्यमशीलता, बड़ी सोच मेरे लिए आंखें खोल देने वाली थी। वैसा अनुभव मुझे अपने देश में नहीं हुआ। मैंने पाया कि उनके एजुकेशन सिस्टम के कारण वहां ये अंतर आया। अमेरिका में 40 बड़े विश्वविद्यालय हैं जहां शिक्षा के अलावा, रिसर्च और डेवलपमेंट को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे छात्रों को वे टॉपिक्स स्टडी करने की अनुमति मिलती है जो उनके दिल के करीब हैं। पॉलिसी मेकर्स के साथ उन इंस्टीट्यूट्स के कनेक्शन ने अमेरिका को वह बना दिया है जो वो आज है।

बात गौर करने वाली है कि एकेडमिक ईयर 2022-2023 में, लगभग 10 लाख भारतीय स्टूडेंट्स दुनिया भर की यूनिवर्सिटीज़ में डिग्री के लिए पढ़ाई कर रहे थे। मुझे आश्चर्य होता था कि इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स हायर स्टडी के लिए भारत से बाहर क्यों जाते हैं! इसके लिए होने वाला खर्च कोई कम भी नहीं है। औसतन, विदेश में पढ़ने वाला एक इंडियन स्टूडेंट अकेले ट्यूशन फीस पर प्रति वर्ष 20 से 50 लाख रुपए के बीच खर्च करता है, जो इंस्टीट्यूट और कोर्स पर डिपेंड करता है। एक स्टडी के मुताबिक वर्ष 2024 में फॉरेन इंस्टीट्यूट्स में पढ़ने वाले इंडियन स्टूडेंट द्वारा प्रति वर्ष होने वाला खर्च 80 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

प्राचीन काल से ही भारत ने हमेशा विश्व गुरु का रोल निभाया है। यहीं से सबसे पहले शास्त्र और उनसे जुड़ा ज्ञान आया। मुझे ये बहुत दुखद लगता है कि भारत के बच्चों को ज्ञान लेने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। 

मेरे दादाजी मेरे लिए गुरु समान थे। आज मैं जो कुछ भी हूं उनकी सीख के कारण ही हूं। वो कहा करते थे: "बेटा हरदम समाज की, देश की, लोगों की सेवा को ही ध्यान में रखना। अगर पैसा होगा तो पैसे से सेवा करना। नहीं तो अपने हाथों से किसी की मदद करना।" हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की वॉटर फ्रंटेज लोकेशन मुझे बहुत पसंद है और मैंने ये संकल्प लिया कि अगर मैं आर्थिक रूप से सक्षम होता हूं तो ऐसा कुछ बनाऊं जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक तीर्थ बन जाए।

जब मैं ओडिशा के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था, तभी मैंने वहां एक वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी और एजुकेशन सिटी बनाने का तय कर लिया था। पुरी और कोणार्क मंदिर के बीच मुझे वो जगह नजर आई जो एक एतिहासिक स्थान भी है और वाटर फ्रंट भी। जब मैंने लोकेशन विजिट की तो मुझे बहुत सुंदर और स्पिरिचुअल फीलिंग हुई। एक तरफ जगन्नाथ मंदिर था और दूसरी तरफ कोणार्क मंदिर था। मैं जानता था कि यही वो जगह है जहां विद्या की देवी को विराजमान करना है।

शुरुआत में वहां एक लाख छात्र होंगे और मेरी इच्छा कम से कम 5 लाख लोगों के लिए एक शहर बनाने की है। युनिवर्सिटी में सारे प्रचलित कोर्सेज होंगे लेकिन लिबरल आर्टस, मेडिसिन और एंटरप्रेन्योरशिप पर फोकस किया जाएगा। हम इस बात पर सहमत हैं कि इसका लाभ ज़रूरतमंद और टैलेंटेड बच्चों को मिलना चाहिए। तीस पर्सेंट एडमिशन कम फीस या बिना फीस के मिलने चाहिए। हमने जो लोकेशन सिलेक्ट की, वो एयरपोर्ट से 40 मिनट की दूरी पर थी। सरकार मुफ्त जमीन देने पर विचार कर रही थी, लेकिन हमने फैसला किया कि हम जमीन को मार्केट वैल्यू पर खरीदेंगेI इस तरह कोई भी वंचित नहीं रहेगा, क्योंकि हमें इस नेक काम के लिए सभी लोगों के आशीर्वाद की जरूरत है।

मेरा सपना था कि उस यूनिवर्सिटी में वर्ल्ड फुटबॉल लीग खेली जाए और एक वर्ल्ड क्लास स्टेडियम हो, सभी फैकल्टी के लिए हाउसिंग कॉलोनी बनाई जाए। रिसर्च पर फोकस हो ताकि हम ग्लोबल लेवल पर आगे आ सकें।  

अमेरिका और बाकी देशों में लगभग 16% इंडियन फैकल्टी मेंबर्स हैं। उनसे बात करने पर पता चला कि उनमें से काफी लोग भारत वापस आ कर इस मिशन के साथ जुड़ना चाहते हैं। हमने इसे बनाने में मदद करने के लिए एमरी यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट विलियम चेज़ को चेयरमैन अप्वाइंट किया था और इस सपने को साकार करने और आगे बढ़ाने के लिए एक सक्षम टीम जुटाई। 

मैंने इस विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए तुरंत 1 बिलियन डॉलर (8000 करोड़ रुपए) देने का संकल्प किया है और अतिरिक्त 2 बिलियन डॉलर की व्यवस्था करने का वादा किया है। 

इस यूनिवर्सिटी का ब्लूप्रिंट मैं बार बार अपने दिमाग में बनाता रहता हूं। सोचता रहता हूं और क्या करना चाहिए हमें जो हमारे यूथ को एक नई दिशा में ले जाए। ख्याल आया कि इस यूनिवर्सिटी में एक एग्जिबिशन सेंटर भी होना चाहिए। जहां बारह महीनों में कोई न कोई मेला या एग्जिबिशन चलता रहे। भारत हेवी मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, रिन्यूएबल, ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट, टेक्सटाइल और फर्नीचर के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बाजार है। इससे हमारे बच्चों को इन इवेंट्स में पार्ट टाइम जॉब्स मिलेंगे और इंफ्रा स्ट्रक्चर डेवलप होगा- कई होटल, रेजिडेंशियल कॉलोनी और रियल एस्टेट विकसित होंगे। मैं उत्साहित था क्योंकि यहां एक वॉटर फ्रंट होने के कारण हम कई वॉटर स्पोर्ट्स आयोजित कर सकेंगे। 

ओडिशा गवर्नमेंट ने इस बारे में बिल को असेंबली में पास कर दिया। हमें सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं चाहिए। हम सिर्फ साथ और सहयोग की अपेक्षा रखते हैं।

अमेरिका के आगे बढ़ाने में उसके यूनिवर्सिटीज का रोल था जो उनके थिंक टैंक- सूत्रधार थे। भारत का यूथ बहुत टैलेंटेड है, ज़रूरत है तो सिर्फ उनको सही प्लेटफॉर्म की। अधिकांश स्टूडेंट्स विदेश नही जा सकते, या फिर लोन ले कर पढ़ाई करते हैं। दुनिया नहीं चाहती कि भारत एक एजूकेशन हब बने। बहुत सारे एनजीओ इसमें कूद पड़े और सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया। इस प्रयास में सात साल बीत गए हैं। न्यायालय को अर्जेंसी के सेंस को समझना होगा और मामले में स्पष्टता लानी होगी।

हमने डिजिटल यूनिवर्सिटी का भी इरादा बनाया, जिसे दूर रहने वाले छात्र तक भी पहुंचा जा सके। हमारा उद्देश्य शिक्षा का व्यापार करके पैसा कमाना नहीं है, हम सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाना चाहते हैं। आप अमेरिका में देखिए, उनके पास 40 बड़ी यूनिवर्सिटी हैं जिनमें से एक भी गवर्नमेंट फंडेड नहीं है। हम एक ऐसी शुरुआत करना चाहते हैं जो देश के और एंटरप्रेन्योर्स को प्रेरित करे, आगे के न्यू एज एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बनाने के लिए। "पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया!"

भारत को दुनिया को दिखाना है कि विश्वगुरु हम हैं। जो हम कर सकते हैं वो कोई नहीं कर सकता। हमारे उद्यमी सिर्फ बिजनेस नहीं करते, अपने देश की मिट्टी से सोना निकालते हैं। मैं अपने जीवनकाल में इस यूनिवर्सिटी के कैंपस में बैठ कर अपने आस-पास लाखों स्टूडेंट्स के चहकते, मुस्कुराते चेहरों में अपने देश के भविष्य को सूरज सा चमकता देखना चाहता हूं। 

क्या आप मेरे साथ हैं?

Monday, 13 November 2023

छठ के अवसर पर 15 जोड़ी और स्पेशल ट्रेनों का परिचालन

छठ के अवसर पर 15 जोड़ी और स्पेशल ट्रेनों का परिचालन
कोलकाता, हैदराबाद एवं दुर्ग से पटना, पुणे एवं उधना से दानापुर, योगनगरी ऋषिकेष से मुजफ्फरपुर, हावड़ा एवं सिकंदराबाद से रक्सौल, रांची से जयनगर, शालीमार से सीतामढ़ी, न्यू तिनसुकिया से मधुबनी एवं टाटा से छपरा के स्पेशल ट्रेनें

हाजीपुर: दीपावली एवं छठ के दौरान यात्रियों की अतिरिक्त भीड़ के मदेनजर उनकी सुविधा हेतु रेलवे द्वारा कई स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है। इसी क्रम 10 और स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है जिनका विवरण निम्नानुसार है 

1. गाड़ी सं. 03133/03134 कोलकाता-पटना- कोलकाता छठ स्पेशल (जी- 5. गाड़ी स. 01449/01450 पुणे-दानापुर पुणे सुपरफास्ट फिडल के रास्ते) गाड़ी संख्या 03133 कोलकाता-पटना-कोलकाता स्पेशल 14.11.2023 एवं 16.11.2023 को कोलकाता से 23.55 बजे खुलकर अगले दिन 10.30 बजे पटना पहुंचेगी। वापसी में 03134 पटना-कोलकाता स्पेशल 15.11.2023 एवं 17.11.2023 को पटना से 14.30 बजे खुलकर देर रात्रि 100.25 बजे कोलकाता पहुंचेगी। इस स्पेशल में शयनयान श्रेणी के 13 एवं साधारण श्रेणी के 05 कोच होंगे।

2. गाड़ी से 08793/08794 दुर्ग- पटना-दुर्ग छठ स्पेशल रायपुर-बिलासपुर राउरकेलाहोरी-गोमो- गया के रास्ते) गाड़ी संख्या 08793 दुर्ग- पटना छठ स्पेशल 15.11.2023 को दुर्ग से 14.45 बजे खुलकर अगले दिन 09.30 बजे पटना पहुंचेगी। वापसी में गाड़ी से 08794 पटना-दुर्ग छ स्पेशल 16.11.2023 को पटना से 10.30 बजे खुलकर अगले दिन 08.20 बजे दुर्ग पहुंचेगी। इस स्पेशल में वातानुकूलित श्रेणी के 07 कोच शयनयान श्रेणी के 09 एवं साधारण श्रेणी के 04 कोच होंगे।

3. गाड़ी सं. 07003/07004 हैदराबाद- पटना-हैदराबाद छ स्पेशल (सिकंदराबाद बल्लारशाह गोंदिया- जबलपुर राज छिवकी डीडीयू के रास्ते) गाड़ी संख्या 07003 हैदराबाद-पटना छठ स्पेशल 13, 18 एवं 20.11.2023 को हैदराबाद से 12.00 बजे खुलकर अगले दिन 17:15 बजे पटना पहुंचेगी। यात्री में गाड़ी सं. 07004 पटना- हैदराबाद छठ स्पेशल 15, 20 एवं 22.11.2023 को पटना से 03.35 बजे खुलकर अगले दिन 10.00 बजे हैदराबाद पहुंचेगी। इस स्पेशल में द्वितीय वातानुकूलित श्रेणी के 02 कोच, तृतीय वातानुकूलित इकॉनोमी श्रेणी के 10. कोच, शयनयान श्रेणी के 02 एवं साधारण श्रेणी के 02 कोच होंगे। 

4. गाड़ी सं. 01105/01106 पुणे-दानापुर- पुणे
सुपरफास्ट स्पेशल (भूल-इटारसी जबलपुर- पं. दीनदयाल उपाध्याय के रास्ते )- गाड़ी संख्या 01105 पुणे दानापुर सुपरफास्ट स्पेशल ट्रेन
पुणे से 13.11.2023 एवं 16.11.2023 को 06.30 बजे खुलकर अगले दिन 11.40 बजे दानापुर पहुंचेगी। वापसी में गाड़ी संख्या 01106 दानापुर पुणे सुपरफास्ट स्पेशल ट्रेन दानापुर से 14.11.2023 एवं 17.11.2023 को 13.30 बजे खुलकर अगले दिन 19.45 बजे पुणे पहुंचेगी। इस स्पेशल में वातानुकूलित तृतीय इकॉनोमी श्रेणी के 12 कोच एवं शयनयान श्रेणी के 06 कोच होंगे। स्पेशल (भुसावल इटारसी जबलपुर प्रयाग की दीनदयाल उपाध्याय के रास्ते) 

5. गाड़ी संख्या 01449 पुणे-दानापुर सुपरफास्ट स्पेशल ट्रेन पुणे से 18:11.2023 एवं 25.11.2023 को 06.35 बजे खुलकर अगले दिन 11.40 बजे दानापुर पहुंचेगी। वापसी में गाड़ी संख्या 01450 दानापुर पुणे सुपरफास्ट स्पेशल ट्रेन दानापुर से 19.11.2023 एवं 26.11.2023 को 13:30 बजे खुलकर अगले दिन 19.40 बजे पुणे पहुंचेगी। इस स्पेशल में साधारण को श्रेणी के 10 एवं चेयरकार के 04 कोच होंगे।

6. गाड़ी सं. 09187/09/188 उपना-दानापुर-उधना कोच होंगे। अनारक्षित स्पेशल (भुसावल- इटारसी जबलपुर- प्रयागराज की पं. दीनदयाल उपाध्याय ज. के रास्ते गाड़ी संख्या 09187 उधना-दानापुर अनारक्षित स्पेशल: उधना से 11.11.2023 को 18.00 बजे खुलकर 13.011.2023 को 00.30 बजे दानापुर पहुंचेगी। वापसी में गाड़ी संख्या 09185 दानापुर-उधना अनारक्षित स्पेशल दानापुर से 13.11.2023 को 04.45 बजे खुलकर अगले दिन 11.30 बजे उचना पहुंचेगी। इस स्पेशल में साधारण श्रेणी के 20 कोन हैं।

7. गाड़ी सं. 04324/04323 योगनगरी ऋषिकेष मुजफ्फरपुर- योगनगरी सपिकेष फेस्टिवल स्पेशल ( हरिद्वार-मुरादाबाद बरेली लखनऊ-गोरखपुर-हाजीपुर के रास्ते) गाड़ी संख्या 04324 योगनगरी ऋषिकेष मुजफ्फरपुर फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन योगनगरी ऋषिकेष से 11.11.2023 एवं 14.11.2023 को 13.00 बजे खुलकर अगले दिन 10.30 बजे मुजफ्फरपुर पहुंचेगी। वापसी में गाड़ी संख्या 04323 मुजफ्फरपुर- योगनगरी ऋषिकेष फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन मुजफ्फरपुर से 12.11.2023 एवं 15.11.2023 को 13.00 बजे खुलकर अगले दिन 11.30 जे योगनगरी ऋषिकेष पहुंचेगी। इस स्पेशल में शयनयान श्रेणी के 03 एवं साधारण श्रेणी के 15 कोच होंगे।

8. गाड़ी [सं.] [03045103046 हावड़ा-रक्सौल-हावड़ा स्पेशल (बरौनी- समस्तीपुर-दरभंगा-सीतामढ़ी के रास्ते गाड़ी संख्या 03045 हावड़ा-रक्सौल-हावड़ा हट स्पेशल 13 एवं 16.11.2023 को हवा से 23.00 बजे

खुलकर अगले दिन 14.15 बजे रक्सील पहुंचेगी। वापसी में 03046 रक्सौल पड़ा स्पेशल 14 एवं 17.11.2023 को रक्सैल से 16.55 बजे खुलकर अगले दिन 08.50 बजे कोलकाता पहुंचेगी। इस स्पेशल में शयनयान श्रेणी के 11 एवं साधारण श्रेणी के 05 कोच होंगे

9.07001/07002 सिकंदराबाद- सिकंदराबाद जनसाधरण स्पेशल (नांदेड-पुण- अकोला- इटारसी जबलपुर डीडीयू-पाटलीपुत्र हाजीपुर- 03 मुजफ्फरपुर के रास्ते) गाड़ी संख्या 07001 सिकदराबाद होंगे। रक्सी छठ स्पेशल 12.11.2023 एवं 19.11.2023 को सिकंदराबाद से 10.30 बजे खुलकर तीसरे दिन 06.00 बजे राल पहुंचेगी। वापसी में गाड़ी सं. 07002 - सिकंदराबाद छठ स्पेशल 14.11.2023 एवं 21.11.2023 रक्सौल से 19.15 बजे खुलकर तीसरे दिन 14.30 बजे सिंकदराबाद पहुंचेगी। इस स्पेशल में साधारण श्रेणी के 22

10. गाड़ी [सं.] [08105/08106 रांची-जयनगर रांची स्पेशल (बोकारो-धनबाद जसा परौनी में समस्तीपुर-दरभंगा मधुबनी के रास्ते) गाड़ी संख्या 08105 रांची-जयनगर छठ स्पेशल 11 एवं 18.11.2023 03 कोच होंगे। को रांची से 23.55 बजे खुलकर अगले दिन 15.30 बजे जयनगर पहुंचेगी। वापसी में गाड़ी से 08106 जयनगर रांची छठ स्पेशल 12 एवं 19.11.2023 को जयनगर से 17.00 बजे खुलकर अगले दिन 09.00 बजे रांची पहुंचेगी। दूसरा स्पेशल में तृतीय वातानुकूलित श्रेणी का 01, 
शयनयान श्रेणी के 11 एवं साधारण श्रेणी के 10 कोच होंगे।

11. गाड़ी सं. 05974105973 न्यूतिनसुकिया मधुबनी न्यूतिनसुकिया फेस्टिवल स्पेशल (कामाख्या- किशनगंज कटिहार-बरौनी समस्तीपुर दरभंगा के सस्ते) गाड़ी संख्या 05974 न्यूतिनसुकिया मधुवनी फेस्टिवल स्पेशल 14, 21 एवं 28.11.2023 को न्यू तिनसुकिया से 05.00 कोच होंगे। बजे खुलकर अगले दिन 07.40 बजे मधुवनी पहुंचेगी। वापसी में गाड़ी सं. 05973 मधुवनी व्यूतिनसुकिया फेस्टिवल स्पेशल 15, 22 एवं 29.11.2023 को मधुवनी से 12.40 बजे खुलकर अगले दिन 21.00 बजे न्यू तिनसुकिया पहुंचेगी। इस स्पेशल में द्वितीय वातानुकूलित श्रेणी का 01, तृतीय वातानुकूलित श्रेणी का 04 शयनयान श्रेणी के 11 एवं साधारण श्रेणी के 02 कोच होंगे।

12. गाड़ी सं. 08183/08154 शालीमार-सीतामढ़ी- शालीमार छठ स्पेशल (आसनसोल-झाझा-उल- बरौनी- समस्तीपुर-दरभंगा के रास्ते गाड़ी संख्या 08183

शालीमार-सीतामढ़ी छठ स्पेशल 12.11.2023 एवं 19.11.2013 को शालीमार से 21.55 बजे खुलकर अगले दिन 10.00 बजे सीतामढ़ी पहुंचेगी। वापसी में गाड़ी सं 08184 सीतामढ़ी शालीमार स्पेशल 13.11.2023 एवं 20.11.2023 को सीतामढ़ी से 11.00 बजे खुलकर उसी दिन 23.45 बजे शालीमार पहुंचेगी। इस स्पेशल में द्वितीय वातानुकूलित श्रेणी के 01, तृतीय वातानुकूलित श्रेणी का . शयनयान श्रेणी के 12 एवं साधारण श्रेणी के 03 कोच

13. गाड़ी सं. 0818108182 टाटा-छपरा-टाटा छ स्पेशल (आसनसोल-जससह झाझा-बनी- शाहपुर पटोरी- हाजीपुर के रास्ते) गाड़ी संख्या 08181 टाटा-छपरा छठ स्पेशल 15.11.2023 एवं 22.11.2023 को टाटा से 13.20 बजे खुलकर अगले दिन 03.00 बजे छपरा पहुंचेगी। वापसी में गाड़ी से 08182 छपरा-टाटा हठ स्पेशल 16.11.2023 एवं 23.11.2023 को छपरा से 06:00 बजे खुलकर उसी दिन 20.45 बजे टाटा पहुंचेगी। इस स्पेशल द्वितीय वातानुकूलित श्रेणी के 02 तृतीय यातानुकूलित श्रेणी का 03, शयनयान श्रेणी के 12 एवं साधारण श्रेणी 2

14. गाड़ी [सं.] [04534/04533 सरहिंद-सहरसा- अम्बाला कैट फेस्टिवल अनारक्षित स्पेशल (अम्बाला-मुरादाबाद- बरेली गोरखपुर-हाजीपुर-मुजफ्फरपुर- समस्तीपुर-बरौनी के रास्ते) गाड़ी संख्या 04534 सरहिंद-सहरसा फेस्टिवल अनारक्षित स्पेशल 13, 16 एवं 19.11.2023 को सहिद से 20.20 बजे खुलकर अगले दिन 23.45 बजे सहरया पहुंचेगी। 
वापसी में गाड़ी सं. 04533 सहरसा-अभ्या कैट फेस्टिवल अनारक्षित स्पेशल 12, 15, 18 एवं 21.11.2023 को सहरसा से 03.00 बजे खुलकर अगले दिन 05.00 बजे अम्बाला कैंट पहुंचेगी। इस स्पेशल में साधारण श्रेणी के 14

15. गाड़ी सं. 04536/04535 चंडीगढ़-कटिहार- चंडीगढ़ फेस्टिवल अनारक्षित स्पेशल (अम्बाला- मुरादाबाद बरेली लखनऊ-वाराणसी-डीडीयू-पाटलीपुत्र- हाजीपुर-बरौनी के रास्ते गाड़ी संख्या 04536 चंडीगढ़- कटिहार फेस्टिवल अनारक्षित स्पेशल 13, 16 एवं 19.11.2023 को चंडीगढ़ से 23.55 बजे खुलकर अगले दिन 05.00 बजे कटिहार पहुंचेगी। वापसी में गाड़ी सं. 04535] कटिहार- चंडीगढ़ फेस्टिवल अनारक्षित स्पेशल 12, 15, 18 एवं 21.11.2023 को कटिहार से 07.00 बजे खुलकर अगले दिन 12.30 बजे चंडीगढ़ पहुंचेगी।

Tuesday, 31 October 2023

Rashtriya Ekta Divas celebrations, Kevadia

Prime Minister's Office azadi ka amrit mahotsav English rendering of PM’s address at the Rashtriya Ekta Divas celebrations, Kevadia
Posted On: 31 OCT 2023 12:53PM by PIB Delhi Bharat Mata Ki Jai! Bharat Mata Ki Jai! Bharat Mata Ki Jai! This enthusiasm of all the youngsters and the bravehearts like you is a great strength of Rashtriya Ekta Divas (National Unity Day). In a way, I can see a mini India in front of me. There are different states, different languages and different traditions, but every person present here is connected by a robust thread of unity. There are countless beads, but the garland is one. There are countless bodies, but one mind. Just as 15th August is the day of celebration of our Independence and 26th January is the day of celebration of our Republic Day, similarly, 31st October has become a festival of propagating nationalism in every corner of the country. The event held at the Red Fort of Delhi on 15th August, the parade on the Kartavya Path of Delhi on 26th January, and the events of the National Unity Day on the banks of Mother Narmada at the Statue of Unity on 31st October, have become the trinity of national ascension. The parade and the programmes held here today have overwhelmed everyone. Visitors to Ekta Nagar not only get to see this grand statue, but also get a glimpse of Sardar Saheb's life, his sacrifice and his contribution in building united Bharat. The story of the construction of this statue itself is a reflection of the spirit of 'Ek Bharat Shrestha Bharat'. For its construction, farmers from every corner of the country donated farming tools and iron for the statue of the Iron Man. The Wall of Unity was built here by getting soil from every corner of the country. What a great inspiration this is! Filled with the same inspiration, crores of countrymen have become a part of this event. Lakhs of people are participating in 'Run for Unity' across the country. And lakhs of people are becoming a part of the run through various cultural programmes. When we see this flow of unity in the country, when we see this spirit of unity among 140 crore Indians, it seems as if the ideals of Sardar Saheb are within us in the form of the resolve of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat'. On this auspicious occasion, I bow down at the feet of Sardar Vallabhbhai Patel. I extend my best wishes to all the countrymen on Rashtriya Ekta Divas. My family members, The coming 25 years are the most important 25 years of this century for Bharat. In these 25 years, we have to make our Bharat prosperous and developed. In the last century, before independence, there was a period of 25 years in which every fellow citizen had dedicated his or her life for an independent Bharat. Now to achieve the goal of a prosperous Bharat, the next 25 years of 'Amrit Kaal' have come before us as an opportunity. We have to achieve every goal by taking inspiration from Sardar Patel. Today the whole world is watching Bharat. Today, Bharat is at a new peak of achievements. The world was surprised to see Bharat's potential in G20. We are proud that we are taking the credibility of the world's largest democracy to new heights. We are proud that our borders remain secure amid multiple global crises. We are proud that in the next few years we are going to become the third largest economic power in the world. We are proud that today Bharat has reached that spot on the moon where no other country in the world has been able to reach. We are proud that today Bharat is manufacturing Tejas fighter planes and INS Vikrant indigenously. We are proud that today our professionals are running and leading the billion-trillion-dollar companies around the world. We are proud that today the glory of the tricolour is continuously getting enhanced in major sports events of the world. We are proud that the youth, sons and daughters of the country are winning medals in record numbers. Friends, In this period of 'Amrit Kaal', Bharat has resolved to move forward by shaking off the slave mentality. We are developing the nation and preserving our heritage at the same time. Bharat has removed the symbol of colonialism from its naval flag. Unnecessary laws made during the era of colonial rule are also being repealed. IPC is also being replaced by the Bharatiya Nyaya Sanhita. There was a statue of a representative of a foreign power at India Gate once; but now the statue of Netaji Subhas is inspiring us at that place. Friends, Today there is no such goal which Bharat cannot achieve. There is no resolution which we Indians cannot achieve together. In the last nine years, the country has seen that when everyone makes efforts, nothing is impossible. Who would have thought that Kashmir could ever be free from Article 370? But today the wall of Article 370 between Kashmir and the country has fallen. Wherever Sardar Saheb is, he would be feeling extremely happy and would be blessing us all. Today my brothers and sisters of Kashmir are coming out of the shadow of terrorism, breathing in the air of freedom, and are walking together in the development of the country. The Sardar Sarovar Dam here on this side was also in a limbo for 5-6 decades. With everyone's efforts, the work on this dam has also been completed in the last few years. Friends, Ekta Nagar is also a great example of 'Sankalp se Siddhi' or accomplishment through determination. 10-15 years ago, no one had even thought that Kevadia would change so much. Today Ekta Nagar is being recognized as a Global Green City. This is the city from where 'Mission LiFE', which attracted the attention of countries around the world, was started. Whenever I come here, its attraction seems to increase further. River Rafting, Ekta Cruise, Ekta Nursery, Ekta Mall, Arogya Van, Cactus and Butterfly Garden, Jungle Safari, Miyawaki Forest, Maze Garden are attracting a lot of tourists here. In the last 6 months alone, more than 1.5 lakh trees have been planted here. Ekta Nagar is also leading in solar power generation and city gas distribution. Today a special heritage train is also going to be added here which will prove to be a new tourist attraction. This train running between Ekta Nagar station and Ahmedabad has a glimpse of our heritage and modern facilities. Its engine has been given the look of a steam engine, but it will run on electricity. Arrangements for eco-friendly transport have also been made in Ekta Nagar. Now tourists here will also get the facility of a public bike sharing system along with e-bus, e-golf cart and e-cycle. More than 1.5 crore tourists have come here in the last 5 years and this number is continuously rising. Our tribal brothers and sisters here are getting a huge benefit from the same. They are also getting new sources of income. Friends, Today the whole world is watching with immense respect and trust the strength of Bharat's resolve, the bravery and strength of the Indians and our willingness to live life to the fullest. Bharat's incredible and unparalleled journey has today become a source of inspiration for everyone. But my dear countrymen, We should never forget certain things; we should always remember them. Today, on Rashtriya Ekta Divas, I would like to express my feelings to every countryman in this regard. Today, there is turmoil in the whole world. After Corona pandemic, the economies of many countries have collapsed. It is in a very bad shape. Many countries are today facing the highest ever inflation in 30-40 years. Unemployment is continuously increasing in those countries. Even under such circumstances, Bharat is waving its flag in the world. We are continuously moving forward, overcoming challenges one after another. We have created new records; we have also created new standards. Today, the impact of the policies and decisions with which the country has moved forward in the last 9 years is being felt in every sphere of life. Poverty is decreasing in Bharat. More than 13.5 crore people have come out of poverty in 5 years. We have got the confidence that we can eliminate poverty from the country. And we have to continue moving forward in this direction. And hence this period is very crucial for every Indian. No one should do anything that could harm the stability of the country. If we deviate from our steps, we will also deviate from our goal. The hard work with which 140 crore Indians have brought the country to the path of development should never go in vain. We have to keep the future in mind, and stick to our resolutions. My countrymen, Being the first Home Minister of the country, Sardar Patel was very strict regarding the internal security of the country. He was an iron man. For the last 9 years, the internal security of the country has been challenged from many fronts. But due to the hard work of our armed forces, day and night, the enemies of the country are not able to succeed in their plans unlike before. People have still not forgotten that period when the people were scared of going to crowded places. There was a conspiracy to stop the development of the country by targeting the festive crowds, markets, public places and all the centres of economic activities. People have seen the devastation after the blasts, the devastation caused by bomb blasts. After that, the laxity of the governments of that time in the name of investigation has also been seen. You must not allow the country to return to that era; you must stop it with all your might. We all countrymen have to know, recognize, understand and also be cautious about those who are attacking the unity of the country. Friends, The greatest obstacle in the way of national unity, in our development journey, is the politics of appeasement. The past several decades in Bharat are a witness to the fact that appeasers never see terrorism, its horrors and its monstrosity. Appeasers are not hesitant to stand with the enemies of humanity. They neglect investigating terrorist activities and avoid taking strict action against anti-national elements. This policy of appeasement is so dangerous that these people even reach the court to save the terrorists. Such mindset cannot benefit any society. It can never benefit any country. Every countryman has to be cautious at every moment, at all times, in every corner of the country, from such thinking which endangers unity. My dear countrymen, Right now there is an atmosphere of elections in the country. The election process is going on in some states and the Lok Sabha elections are also going to be held next year. You must have noticed that there is a very large political faction in the country which does not see any means of using politics in any positive way. Unfortunately, this political faction is adopting such tactics which are against the society and country. It doesn't bother this faction even if they have to break the unity of the country for their own selfishness, because for them their self-interest is paramount. Therefore, amidst these challenges, you my countrymen, the public, your role has become very important. These people want to serve their political interests by hurting the unity of the country. If the country is aware about these things, only then will it be able to achieve its development goals. To achieve the goal of a developed Bharat, we cannot leave even a single opportunity to maintain the unity of the country with our efforts; we cannot lag behind by even a single step. We have to continuously live with the mantra of unity. We have to continuously make our contribution to maintain this unity. Whatever field we are in, we have to give our 100 percent. This is the only best way to give a better future to the coming generations. And this is what Sardar Saheb expects from all of us. Friends, A national competition related to Sardar Saheb is also starting from today on MyGov. Through Sardar Sahab Quiz, the youth of the country will get a better opportunity to know him. My family members, Today's Bharat is the new Bharat. Every Indian today is full of immense confidence. We have to ensure that this confidence persists and the country also continues to grow. May this spirit remain within us. May this grandeur continue to remain! With this, I once again pay my humble tribute to respected Sardar Patel on behalf of 140 crore countrymen. Let us all celebrate this national festival of unity with a lot of enthusiasm. Make it a habit to live by the mantra of unity in life; keep dedicating every moment of your life to unity. With this wish, once again many congratulations to all of you! Bharat Mata Ki Jai! Bharat Mata Ki Jai! Bharat Mata Ki Jai! Thank you very much. *********
(Release ID: 1973290) Visitor Counter : 542

Monday, 18 September 2023

रामधारी सिंह 'दिनकर' '

'रामधारी सिंह 'दिनकर'
(23 सितम्‍बर 1908- 24 अप्रैल 1974) 
रामधारी सिंह 'दिनकर हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। राष्ट्रवाद अथवा राष्ट्रीयता को इनके काव्य की मूल-भूमि मानते हुए इन्हे 'युग-चारण' व 'काल के चारण' की संज्ञा दी गई है।
दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओं में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल शृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी 'कुरुक्षेत्र' और 'उर्वशी' नामक कृतियों में मिलता है।

दिनकर' जी का जन्म 24 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गाँव में भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास राजनीति विज्ञान में बीए किया। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक विद्यालय में अध्यापक हो गये। 1934 से 1947 तक बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्टार और प्रचार विभाग के उपनिदेशक पदों पर कार्य किया। 1947 से 1952 तक लंगट सिंह कालेज मुजफ्फरपुर में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे, भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति के पद पर 1963 से 1965 के बीच कार्य किया और उसके बाद भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार बने।

उन्हें पद्म विभूषण की उपाधि से भी अलंकृत किया गया। उनकी पुस्तक संस्कृति के चार अध्याय के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा उर्वशी के लिये भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। अपनी लेखनी के माध्यम से वह सदा अमर रहेंगे।

द्वापर युग की ऐतिहासिक घटना महाभारत पर आधारित उनके प्रबन्ध काव्य कुरुक्षेत्र को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ काव्यों में 74वाँ स्थान दिया गया।

रामधारी सिंह दिनकर स्वभाव से सौम्य और मृदुभाषी थे, लेकिन जब बात देश के हित-अहित की आती थी तो वह बेबाक टिप्पणी करने से कतराते नहीं थे। रामधारी सिंह दिनकर ने ये तीन पंक्तियाँ पंडित जवाहरलाल नेहरू के विरुद्ध संसद में सुनायी थी, जिससे देश में भूचाल मच गया था। दिलचस्प बात यह है कि राज्यसभा सदस्य के तौर पर दिनकर का चुनाव पणृडित नेहरु ने ही किया था, इसके बावजूद नेहरू की नीतियों का विरोध करने से वे नहीं चूके।

देखने में देवता सदृश्य लगता है
बंद कमरे में बैठकर गलत हुक्म लिखता है।
जिस पापी को गुण नहीं गोत्र प्यारा हो
समझो उसी ने हमें मारा है॥

1962 में चीन से हार के बाद संसद में दिनकर ने इस कविता का पाठ किया जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू का सिर झुक गया था. यह घटना आज भी भारतीय राजनीती के इतिहास की चुनिंदा क्रांतिकारी घटनाओं में से एक है.

रे रोक युद्धिष्ठिर को न यहां जाने दे उनको स्वर्गधीर
फिरा दे हमें गांडीव गदा लौटा दे अर्जुन भीम वीर॥

इसी प्रकार एक बार तो उन्होंने भरी राज्यसभा में नेहरू की ओर इशारा करते हए कहा- "क्या आपने हिंदी को राष्ट्रभाषा इसलिए बनाया है, ताकि सोलह करोड़ हिंदीभाषियों को रोज अपशब्द सुनाए जा सकें?" यह सुनकर नेहरू सहित सभा में बैठे सभी लोगसन्न रह गए थे। किस्सा 20 जून 1962 का है। उस दिन दिनकर राज्यसभा में खड़े हुए और हिंदी के अपमान को लेकर बहुत सख्त स्वर में बोले। उन्होंने कहा-

ऊँच नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है, दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है.

क्षत्रिय वही भरी हो, जिसमें निर्भयता की आग, सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग.

तेजस्वी सम्मान खोजते नही गौत्र बतला के, पाते है जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के.  
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह "दिनकर"


देश में जब भी हिन्दी को लेकर कोई बात होती है, तो देश के नेतागण ही नहीं बल्कि कथित बुद्धिजीवी भी हिन्दी वालों को अपशब्द कहे बिना आगे नहीं बढ़ते। पता नहीं इस परिपाटी का आरम्भ किसने किया है, लेकिन मेरा ख्याल है कि इस परिपाटी को प्रेरणा प्रधानमंत्री से मिली है। पता नहीं, तेरह भाषाओं की क्या किस्मत है कि प्रधानमंत्री ने उनके बारे में कभी कुछ नहीं कहा, किन्तु हिन्दी के बारे में उन्होंने आज तक कोई अच्छी बात नहीं कही। मैं और मेरा देश पूछना चाहते हैं कि क्या आपने हिंदी को राष्ट्रभाषा इसलिए बनाया था ताकि सोलह करोड़ हिन्दीभाषियों को रोज अपशब्द सुनाएँ? क्या आपको पता भी है कि इसका दुष्परिणाम कितना भयावह होगा?

यह सुनकर पूरी सभा सन्न रह गई। ठसाठस भरी सभा में भी गहरा सन्नाटा छा गया। यह मुर्दा-चुप्पी तोड़ते हुए दिनकर ने फिर कहा- 'मैं इस सभा और खासकर प्रधानमन्त्री नेहरू से कहना चाहता हूँ कि हिन्दी की निन्दा करना बन्द किया जाए। हिन्दी की निन्दा से इस देश की आत्मा को गहरी चोट पहुँचती है।
उन्होंने सामाजिक और आर्थिक समानता और शोषण के खिलाफ कविताओं की रचना की। एक प्रगतिवादी और मानववादी कवि के रूप में उन्होंने ऐतिहासिक पात्रों और घटनाओं को ओजस्वी और प्रखर शब्दों का तानाबाना दिया। उनकी महान रचनाओं में रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा शामिल है। उर्वशी को छोड़कर दिनकर की अधिकतर रचनाएँ वीर रस से ओतप्रोत है। भूषण के बाद उन्हें वीर रस का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है।

ज्ञानपीठ से सम्मानित उनकी रचना उर्वशी की कहानी मानवीय प्रेम, वासना और सम्बन्धों के इर्द-गिर्द घूमती है। उर्वशी स्वर्ग परित्यक्ता एक अप्सरा की कहानी है। वहीं, कुरुक्षेत्र, महाभारत के शान्ति-पर्व का कवितारूप है। यह दूसरे विश्वयुद्ध के बाद लिखी गयी रचना है। वहीं सामधेनी की रचना कवि के सामाजिक चिन्तन के अनुरुप हुई है। संस्कृति के चार अध्याय में दिनकरजी ने कहा कि सांस्कृतिक, भाषाई और क्षेत्रीय विविधताओं के बावजूद भारत एक देश है। क्योंकि सारी विविधताओं के बाद भी, हमारी सोच एक जैसी है।

Mr. Ram Bhadra (Managing Director) 
GYAN BHARTI PUBLIC SCHOOL
Morsand, Runnisaidpur, Sitamadhi, Bihar. PIN - 843328

1947 में देश स्वाधीन हुआ और दिनकर जी बिहार विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रध्यापक व विभागाध्यक्ष नियुक्त होकर मुज़फ़्फ़रपुर पहुँचे। 1952 में जब भारत की प्रथम संसद का निर्माण हुआ, तो उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया और वह दिल्ली आ गए। दिनकर 12 वर्ष तक संसद-सदस्य रहे, बाद में उन्हें सन 1964 से 1965 ई. तक भागलपुर विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया। लेकिन अगले ही वर्ष भारत सरकार ने उन्हें 1965 से 1971 ई. तक अपना हिन्दी सलाहकार नियुक्त किया और वह फिर दिल्ली लौट आए। फिर तो ज्वार उमरा और रेणुका, हुंकार, रसवंती और द्वंद्वगीत रचे गए। रेणुका और हुंकार की कुछ रचनाऐं यहाँ-वहाँ प्रकाश में आईं और अग्रेज प्रशासकों को समझते देर न लगी कि वे एक ग़लत आदमी को अपने तंत्र का अंग बना बैठे हैं और दिनकर की फ़ाइल तैयार होने लगी, बात-बात पर क़ैफ़ियत तलब होती और चेतावनियाँ मिला करतीं। चार वर्ष में बाईस बार उनका तबादला किया गया।
*************************************
प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी 22 मई, 2015 को नई दिल्ली में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' के कार्यों की स्वर्ण जयंती समारोह में .......
दिनकर जी के सभी आदरणीय परिवार-जन, साहित्‍य-प्रेमी भाईयों और बहनों,

ये मेरा सौभाग्‍य है कि आज शब्‍द-ब्रहम की इस उपासना के पर्व पर मुझे भी पुजारी बन करके, शरीक होने का आप लोगों ने सौभाग्‍य दिया है। हमारे यहां शब्‍द को ब्रहम माना है। शब्‍द के सामर्थ्‍य को ईश्‍वर की बराबरी के रूप में स्‍वीकार किया गया है।

किसी रचना के 50 वर्ष मनाना, वो इसलिए नहीं मना जाते कि रचना को 50 साल हो गये हैं, लेकिन 50 साल के बाद भी उस रचना ने हमें जिंदा रखा है। 50 साल के बाद उस रचना ने हमें प्रेरणा दी है और 50 साल के बाद भी हम आने वाले युग को उसी नज़रिये से देखने के लिए मजबूर होते हैं, तब जा करके उसका सम्‍मान होता है।

जिनको आज के युग में हम साहित्‍यकार कहते हैं, क्‍योंकि वे साहित्‍य की रचना करते हैं, लेकिन दरअसल, वे ऋषि-तुल्‍य जीवन होते हैं, जो हम वेद और उपनिषद में ऋषियों के विषयों में पढ़ते हैं, वे उस युग के ऋषि होते हैं और ऋषि के नाते दृष्‍टा होते हैं, वो समाज को भली-भांति देखते भी हैं, तोलते भी हैं, तराशते भी हैं और हमें उसी में से रास्‍ता खोज करके भी देते हैं।

दिनकर जी का पूरा साहित्‍य खेत और खलिहान से निकला है। गांव और गरीब से निकला है। और बहुत सी साहित्यिक-रचना ऐसी होती है जो किसी न किसी को तो स्‍पर्श करती है, कभी कोई युवा को स्‍पर्श करे, कभी बड़ों को स्‍पर्श करे, कभी पुरूष को स्‍पर्श करे, कभी नारी को स्‍पर्श करे, कभी किसी भू-भाग को, किसी घटना को स्‍पर्श करे। लेकिन बहुत कम ऐसी रचनाएं होती हैं, जो अबाल-वृद्ध सबको स्‍पर्श करती हो। जो कल, आज और आने वाली कल को भी स्‍पर्श करती है। वो न सिर्फ उसको पढ़ने वाले को स्‍पर्श करती है, लेकिन उसकी गूंज आने वाली पीढि़यों के लिए भी स्‍पर्श करने का सामर्थ्‍य रखती है। दिनकर जी कि ये सौगात, हमें वो ताकत देती है।

जय प्रकाश नारायण जी, जिन्‍होंने इस देश को आंदोलित किया है, उनकी उम्र को और युवा पीढ़ी के बीच बहुत फासला था, लेकिन जयप्रकाश जी की उम्र और युवा पीढ़ी की आंदोलन की शक्ति इसमें सेतु जोड़ने का काम दिनकर जी की कविताएं करती थीं। हर किसी को मालूम है भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जब लड़ाई चली, तो यही तो दिनकर जी की कविता थी, जो अभी प्रसून जी गा रहे थे, वो ही तो कविता थी जो नौजवानों को जगाती थी, पूरे देश को उसने जगा दिया था और उस अर्थ में वे समाज को हर बार चुप बैठने नहीं देते थे। और जब तक समाज सोया है वो चैन से सो नहीं सकते थे। वे समाज को जगाये रखना चाहते थे, उसकी चेतना को, उसके अंर्तमन को आंदोलित करने के लिए, वे सिर्फ, अपने मनोभावों की अभिव्‍यक्ति कर-करके मुक्ति नहीं अनुभव करते थे। वे चाहते थे जो भीतर उनके आग है, वो आग चहुं ओर पहुंचे और वो ये नहीं चाहते थे कि वो आग जला दें, वो चाहते थे वो आग एक रोशनी बने, जो आने वाले रास्‍तों के लिए पथदर्शक बने। ये बहुत कम होता है।
......…........…...प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 

Sunday, 27 August 2023

तुलसीदास जयंती, 27 अगस्त 20223

तुलसी जयंती पर विशेष 
सम्पूर्ण भारतवर्ष में गोस्वामी तुलसीदास के स्मरण में तुलसी जयंती मनाई जाती है. श्रावण मास की सप्तमी के दिन तुलसीदास की जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष यह 27 अगस्त 2023 के दिन गोस्वामी तुलसीदास जयंती मनाई जाएगी. गोस्वामी तुलसीदास ने सगुण भक्ति की रामभक्ति धारा को ऐसा प्रवाहित किया कि वह धारा आज भी प्रवाहित हो रही है. गोस्वामी तुलसीदास ने रामभक्ति के द्वारा न केवल अपना ही जीवन कृतार्थ किया वरन सभी को श्रीराम के आदर्शों से बांधने का प्रयास किया. वाल्मीकि जी की रचना ‘रामायण’ को आधार मानकर गोस्वामी तुलसीदास ने लोक भाषा में राम कथा की रचना की।
तुलसीदास जी जिनका नाम आते ही प्रभु राम का स्वरुप भी सामने उभर आता है. तुलसीदास जी रामचरित मानस के रचयिता तथा उस भक्ति को पाने वाले जो अनेक जन्मों को धारण करने के पश्चात भी नहीं मिल पाती उसी अदभूत स्वरुप को पाने वाले तुलसीदास जी सभी के लिए सम्माननीय एवं पूजनीय रहे. तुलसीदास जी का जन्म संवत 1589 को उत्तर प्रदेश के बाँदा ज़िला के राजापुर नामक ग्राम में हुआ था. इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था.Banda https://g.co/kgs/wmhEHb

तुलसीदास जी ने अपने बाल्यकाल में अनेक दुख सहे युवा होने पर इनका विवाह रत्नावली से हुआ, अपनी पत्नी रत्नावली से इन्हें अत्याधिक प्रेम था परंतु अपने इसी प्रेम के कारण उन्हें एक बार अपनी पत्नी रत्नावली की फटकार -

” लाज न आई आपको दौरे आएहु नाथ”

“अस्थि-चर्म मय देह मम तापै ऐसी प्रीति, अस जो होति श्रीराम मह तो ना होति भव भीति।।” ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी और तुलसी जी राम जी की भक्ति में ऎसे डूबे कि उनके अनन्य भक्त बन गए. बाद में इन्होंने गुरु बाबा नरहरिदास से दीक्षा प्राप्त की.

नरहरि बाबा ने तुलसीदास को तराशा और उसका नाम रामबोला रखा। उसे वे अयोध्या ले गए और उनका यज्ञोपवीत-संस्कार कराया। बिना सिखाये ही बालक रामबोला ने गायत्री-मंत्र का उच्चारण किया, जिसे देखकर सब लोग चकित हो गए। इसके बाद नरहरि स्वामी ने वैष्णवों के पांच संस्कार कर रामबोला को राममंत्र की दीक्षा दी और अयोध्या ही में रहकर उन्हें विद्याध्ययन कराने लगे।

बालक रामबोला की बुद्धि बड़ी प्रखर थी। एक बार गुरुमुख से जो सुन लेते थे, उन्हें वह कंठस्थ हो जाता था। वहां से कुछ दिन बाद गुरु-शिष्य दोनों शूकरक्षेत्र (सोरों) पहुंचे। वहां श्री नरहरि जी ने तुलसीदास को रामचरित सुनाया। कुछ दिन बाद वह काशी चले आये। काशी में शेषसनातन जी के पास रहकर तुलसीदास ने पंद्रह वर्ष तक वेद-वेदांग का अध्ययन किया।

तुलसी- तुलसी सब कहें, तुलसी वन की घास।
हो गई कृपा राम की तो बन गए
इधर उनकी लोकवासना कुछ जाग्रत हो उठी और अपने विद्यागुरु से आज्ञा लेकर वे अपनी जन्मभूमि को लौट आये। वहां आकर उन्होंने देखा कि उनका परिवार नष्ट हो चुका है। उन्होंने विधिपूर्वक अपने पिता आदि का श्राद्ध किया और वहीं रहकर लोगों को भगवान राम की कथा सुनाने लगे।

अपने दीर्घकालीन अनुभव और अध्ययन के बल पर तुलसी ने साहित्य को अमूल्य कृतियों से समृद्ध किया, जो तत्कालीन भारतीय समाज के लिए तो उन्नायक सिद्ध हुई ही, आज भी जीवन को मर्यादित करने के लिए उतनी ही उपयोगी हैं। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। इनमें रामचरित मानस, कवितावली, विनयपत्रिका, दोहावली, गीतावली, जानकीमंगल, हनुमान चालीसा, बरवै रामायण आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
तुलसीदास जी संस्क्रत भाषा के विद्वान थे अपने जीवनकाल में उन्होंने ने अनेक ग्रंथों की रचना की तुलसीदास जी रचित श्री रामचरितमानस को बहुत भक्तिभाव से पढ़ा जाता है, रामचरितमानस जिसमें तुलसीदास जी ने भगवान राम के चरित्र का अत्यंत मनोहर एवं भक्तिपूर्ण चित्रण किया है. दोहावली में तुलसीदास जी ने दोहा और सोरठा का उपयोग करते हुए अत्यंत भावप्रधान एवं नैतिक बातों को बताया है. कवितावली इसमें श्री राम के इतिहास का वर्णन कवित्त, चौपाई, सवैया आदि छंदों में किया गया है.
रामचरितमानस के जैसे ही कवितावली में सात काण्ड मौजूद हैं. गीतावली सात काण्डों वाली एक और रचना है जिसमें में श्री रामचन्द्र जी की कृपालुता का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन किया गया है. इसके अतिरिक्त विनय पत्रिका कृष्ण गीतावली तथा बरवै रामायण, हनुमान बाहुक, रामलला नहछू, जानकी मंगल, रामज्ञा प्रश्न और संकट मोचन जैसी कृत्तियों को रचा जो तुलसीदास जी की छोटी रचनाएँ रहीं. रामचरितमानस के बाद हनुमान चालीसा तुलसीदास जी की अत्यन्त लोकप्रिय साहित्य रचना है. जिसे सभी भक्त बहुत भक्ति भाव के साथ सुनते हैं.
तुलसीदास जी ने उस समय में समाज में फैली अनेक कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया अपनी रचनाओं द्वारा उन्होंने विधर्मी बातों, पंथवाद और सामाज में उत्पन्न बुराईयों की आलोचना की उन्होंने साकार उपासना, गो-ब्राह्मण रक्षा, सगुणवाद एवं प्राचीन संस्कृति के सम्मान को उपर उठाने का प्रयास किया वह रामराज्य की परिकल्पना करते थे. इधर उनके इस कार्यों के द्वारा समाज के कुछ लोग उनसे ईर्ष्या करने लगे तथा उनकी रचनाओं को नष्ट करने के प्रयास भी किए किंतु कोई भी उनकी कृत्तियों को हानि नहीं पहुंचा सका.

आज भी भारत के कोने-कोने में रामलीलाओं का मंचन होता है. उनकी इनकी जयंती के उपलक्ष्य में देश के कोने कोने में रामचरित मानस तथा उनके निर्मित ग्रंथों का पाठ किया जाता है. तुलसीदास जी ने अपना अंतिम समय काशी में व्यतित किया और वहीं विख्यात घाट असीघाट पर संवत‌ 1680 में श्रावण कृष्ण तृतीया के दिन अपने प्रभु श्री राम जी के नाम का स्मरण करते हुए अपने शरीर का त्याग किया.
.                Sri Ram Bhadra 
                    (DIRECTOR)
      GYAN BHARTI PUBLIC SCHOOL
    Morsand, Runnisaidpur, Sitamarhi

Saturday, 19 August 2023

ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल में हफ्ते भर चला स्वतंत्रता दिवस समारोह।

ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल में हफ्ते भर चलेगा स्वतंत्रता दिवस समारोह।
ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल में सप्ताह भर तक स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया जा रहा है।जिसमें, विद्यालय के छात्रों एवं छात्राओं द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे है।। प्रत्येक वर्ग के लिए निर्धारित दिन और समय अनुसार, उसी वर्ग के छात्र कार्यक्रम को संचालित कर रहे हैं।

विद्यालय के निदेशक श्री राम भद्र बताते हैं कि इस तरह की गतिविधियों में सभी बच्चों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि पढ़ाई के अतिरिक्त वे अपनी अन्य विधाओं को भी प्रदर्शित कर सकेंगे। विद्यार्थियों की सारी प्रस्तुति एक दिन में संपादित नहीं किया जा सकता। अतः इस आजादी के अमृत महोत्सव को सप्ताह भर चलने दिया जाए। प्रतिदिन दो वर्गों की प्रस्तुति होगी तथा उन्ही वर्गो के छात्र या छात्रा के द्वारा कार्यक्रम संचालित किए जाए। 

Saturday, 5 August 2023

अदृश्य पदार्थ

एमआईटी भौतिक विज्ञानी पदार्थ को अदृश्य करने के लिए मौलिक परमाणु संपत्ति का उपयोग करते हैं
अल्ट्राकोल्ड, सुपरडेंस परमाणु कैसे अदृश्य हो जाते हैं

एक नए अध्ययन से पुष्टि होती है कि जैसे-जैसे परमाणुओं को ठंडा किया जाता है और अत्यधिक निचोड़ा जाता है, प्रकाश बिखेरने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।

एक परमाणु के इलेक्ट्रॉन ऊर्जा कोश में व्यवस्थित होते हैं। किसी अखाड़े में संगीत देने वालों की तरह, प्रत्येक इलेक्ट्रॉन एक ही कुर्सी पर रहता है और यदि उसकी सभी कुर्सियाँ भरी हुई हैं तो वह निचले स्तर पर नहीं गिर सकता।

परमाणु भौतिकी की इस मौलिक संपत्ति को पाउली अपवर्जन सिद्धांत के रूप में जाना जाता है, और यह परमाणुओं की खोल संरचना, तत्वों की आवर्त सारणी की विविधता और भौतिक ब्रह्मांड की स्थिरता की व्याख्या करता है।

अब, एमआईटी भौतिकविदों ने पाउली अपवर्जन सिद्धांत, या पाउली अवरोधन को बिल्कुल नए तरीके से देखा है: उन्होंने पाया है कि यह प्रभाव इस बात को दबा सकता है कि परमाणुओं का एक बादल प्रकाश को कैसे बिखेरता है।

******************************************** *******************************
.                          प्रोटॉन.                            

प्रोटॉन की आंतरिक संरचना पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि इसका द्रव्यमान इसके आकार के समान नहीं है?

प्रोटॉन की सर्वव्यापी प्रकृति को मूर्ख मत बनने दो। हुड के नीचे यह अजीबता का एक चक्कर है, क्वांटम कण इस तरह से अस्तित्व में आ रहे हैं और बाहर आ रहे हैं जिससे मानचित्र बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। प्रोटॉन के द्रव्यमान और आवेश की संरचना के बारे में अधिक जानने से उन कणों के बारे में हमारी बुनियादी समझ विकसित होती है जो हमारे चारों ओर ब्रह्मांड का निर्माण करते हैं।

हालाँकि अभी भी बहुत काम करना बाकी है। ये निष्कर्ष आंशिक रूप से प्रयोगात्मक टिप्पणियों के अलावा उल्लिखित सैद्धांतिक मॉडल पर निर्भर करते हैं, और यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि प्रोटॉन द्रव्यमान कैसे वितरित किया जाता है और ग्लूऑन गतिविधि से जुड़ा होता है।

भविष्य के अध्ययन की योजना पहले से ही बनाई गई है, जिसमें विभिन्न उपकरण और प्रयोगात्मक तकनीकें और उच्च स्तर की सटीकता शामिल है। बहुत पहले, हम जान सकते हैं कि वास्तव में एक प्रोटॉन टिक बनाता है।

मेज़ियानी कहते हैं, "मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात - अभी एक उत्साह है।" "क्या हम जो देख रहे हैं उसकी पुष्टि करने का कोई तरीका ढूंढ सकते हैं? क्या यह नई तस्वीर की जानकारी चिपकी रहेगी?"

"लेकिन मेरे लिए, यह वास्तव में बहुत रोमांचक है। क्योंकि अगर मैं अब एक प्रोटॉन के बारे में सोचता हूं, तो हमारे पास अब इसके बारे में पहले की तुलना में अधिक जानकारी है।"

यह शोध 'नेचर' में प्रकाशित हुआ है।

विनम्र प्रोटॉन भौतिक ब्रह्मांड की धुरी है। इसकी विशेषताएं रसायन विज्ञान को परिभाषित करती हैं, इलेक्ट्रॉनों की टीमों को नियंत्रित करती हैं जो परमाणुओं को अणुओं में और अणुओं को चमकदार जटिलता में बनाती हैं।

हम इसके व्यवहार के बारे में जितना समझते हैं, प्रोटॉन की आंतरिक संरचना गतिविधि की एक अराजक गड़बड़ी है जिसे वैज्ञानिक अभी भी समझ रहे हैं।

अमेरिकी ऊर्जा विभाग के थॉमस जेफरसन राष्ट्रीय त्वरक सुविधा में आयोजित एक नया प्रयोग इस रहस्य पर प्रकाश डालता है, प्रोटॉन इनसाइड के बारे में और अधिक खुलासा करता है और वास्तव में सबसे छोटे पैमाने पर पदार्थ को एक साथ कैसे रखा जाता है।

पूरे अमेरिका के शोधकर्ता ग्लूऑन नामक छोटे मूलभूत कणों की गतिविधियों को मापने में सक्षम थे जो प्रोटॉन को एक साथ रखते हैं। पूर्व में इसे प्रोटॉन के ग्लुओनिक गुरुत्वाकर्षण रूप कारक के रूप में जाना जाता था, यह माप सकारात्मक रूप से चार्ज किए गए परमाणु कण की द्रव्यमान संरचना में एक प्रकार की खिड़की के रूप में कार्य करता है।

टीम ने पाया कि प्रोटॉन के द्रव्यमान की त्रिज्या उसके विद्युत आवेश के वितरण को कवर करने वाली त्रिज्या से भिन्न होती है, जिसे अक्सर प्रोटॉन के आकार के लिए प्रॉक्सी के रूप में उपयोग किया जाता है। हालाँकि उन मूल्यों के मेल खाने की उम्मीद नहीं की जाएगी, लेकिन उनके बीच के अंतर वैज्ञानिकों को इस बारे में अधिक बता सकते हैं कि एक प्रोटॉन को एक साथ कैसे रखा जाता है।

थॉमस जेफरसन के एक वरिष्ठ स्टाफ वैज्ञानिक मार्क जोन्स कहते हैं, "इस द्रव्यमान संरचना की त्रिज्या चार्ज त्रिज्या से छोटी है, और इसलिए यह हमें न्यूक्लियॉन की चार्ज संरचना बनाम द्रव्यमान के पदानुक्रम का एहसास कराती है।" वर्जीनिया में राष्ट्रीय त्वरक सुविधा।

चूँकि ग्लूऑन में आवेश और द्रव्यमान की कमी होती है, इसलिए उनका माप अप्रत्यक्ष रूप से लिया जाना चाहिए, जैसे कि क्वार्क और एंटीक्वार्क के युग्मों के क्षय उत्पादों से जिन्हें मेसॉन कहा जाता है। प्रयोग में एक इलेक्ट्रॉन किरण और तरल हाइड्रोजन से गुजरने वाला एक फोटॉन किरण शामिल था, जिसके परिणामस्वरूप परस्पर क्रिया हुई जिससे एक प्रकार का मेसन उत्पन्न हुआ जिसे J/ψ कण कहा जाता है।

Winners

विज्ञान कहता है कि एक वयस्क स्वस्थ पुरुष एक बार संभोग के बाद जो वीर्य स्खलित करता है, उसमें 400 मिलियन शुक्राणु होते हैं...... ये 40 करोड़ श...