मुंशी प्रेमचंद की कहानी
"परीक्षा" कहानी, जो मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई है, एक नैतिक कहानी है जो मनुष्य के चरित्र की परीक्षा पर केंद्रित है। कहानी में, रियासत के दीवान का पद खाली होने पर, एक महीने की अवधि के लिए उम्मीदवारों की परीक्षा ली जाती है। इस परीक्षा में, एक गरीब किसान की मदद करने वाले एक उम्मीदवार को, जो घायल होने के बावजूद, अपनी उदारता और साहस का परिचय देता है, अंततः दीवान चुना जाता है।
कहानी का सारांश:
देवगढ़ रियासत के दीवान सुजान सिंह, बुढ़ापे के कारण, अपने पद से त्यागपत्र देने का फैसला करते हैं। राजा, सुजान सिंह की बुद्धिमत्ता और न्यायप्रियता से प्रभावित होकर, नए दीवान की नियुक्ति का काम भी उन्हें ही सौंपते हैं।
सुजान सिंह, नए दीवान की तलाश में, एक महीने की अवधि के लिए उम्मीदवारों की परीक्षा लेने का निर्णय लेते हैं। इस परीक्षा में, उम्मीदवारों को रियासत में रहने, उनके आचरण और व्यवहार का निरीक्षण किया जाता है।
इस दौरान, कई उम्मीदवार देवगढ़ पहुंचते हैं। एक दिन, हॉकी का खेल खेलने के बाद, उम्मीदवार अपने-अपने रास्ते जा रहे होते हैं। रास्ते में, एक गरीब किसान की अनाज से भरी बैलगाड़ी कीचड़ में फंस जाती है।
कई उम्मीदवार, खेल की थकान और कीचड़ से बचने के कारण, उस किसान की मदद करने से इनकार कर देते हैं। लेकिन, पंडित जानकीनाथ, जो घायल होने के बावजूद, उस किसान की मदद करने के लिए आगे आते हैं।
जानकीनाथ, अपनी चोट की परवाह किए बिना, किसान की गाड़ी को कीचड़ से निकालने में मदद करते हैं। इसके बाद, किसान उन्हें आशीर्वाद देकर चला जाता है।
एक महीने बाद, सुजान सिंह नए दीवान की घोषणा करते हैं। वे पंडित जानकीनाथ को दीवान पद के लिए चुनते हैं, क्योंकि उन्होंने न केवल बुद्धिमान होने का प्रमाण दिया, बल्कि एक गरीब और असहाय व्यक्ति की मदद करके, अपने साहस और उदारता का भी परिचय दिया।
कहानी का संदेश:
यह कहानी हमें सिखाती है कि मनुष्य की असली परीक्षा उसकी बुद्धि, साहस और उदारता में होती है, खासकर प्रतिकूल परिस्थितियों में। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, भले ही हमें इसके लिए कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़े
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