सब-ए-रात पर निबंध
सब-ए-रात पर निबंध प्रस्तावना इस्लामी धर्म में सब-ए-रात (शब-ए-बरात) को विशेष महत्व प्राप्त है। यह एक ऐसी रात है जिसे इबादत, तौबा और दुआओं के लिए बहुत पवित्र माना जाता है। इस रात को लोग अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह रात इस्लामी कैलेंडर के शाबान महीने की 15वीं रात को मनाई जाती है। सब-ए-रात का महत्व सब-ए-रात को कुरान और हदीस में खास रातों में से एक बताया गया है। इस रात को खुदा अपने बंदों की दुआओं को कबूल करता है और उनकी गुनाहों की माफी करता है। इस रात को "रहमत की रात" भी कहा जाता है क्योंकि माना जाता है कि अल्लाह इस रात अपने बंदों पर रहमतों और बरकतों की बारिश करता है। इस रात की इबादत सब-ए-रात की रात को लोग नमाज पढ़ते हैं, कुरान की तिलावत करते हैं और खुदा से अपने लिए और अपनों के लिए दुआएं मांगते हैं। कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों के लिए दुआ की जाती है। इस दिन रोजा रखने का भी प्रचलन है। यह रात तौबा और गुनाहों से बचने की सीख देती है। पर्व का सामाजिक महत्व सब-ए-रात का उद्देश्य केवल इबादत करना ही नहीं है, बल्कि ...