Sunday, 27 August 2023

तुलसीदास जयंती, 27 अगस्त 20223

तुलसी जयंती पर विशेष 
सम्पूर्ण भारतवर्ष में गोस्वामी तुलसीदास के स्मरण में तुलसी जयंती मनाई जाती है. श्रावण मास की सप्तमी के दिन तुलसीदास की जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष यह 27 अगस्त 2023 के दिन गोस्वामी तुलसीदास जयंती मनाई जाएगी. गोस्वामी तुलसीदास ने सगुण भक्ति की रामभक्ति धारा को ऐसा प्रवाहित किया कि वह धारा आज भी प्रवाहित हो रही है. गोस्वामी तुलसीदास ने रामभक्ति के द्वारा न केवल अपना ही जीवन कृतार्थ किया वरन सभी को श्रीराम के आदर्शों से बांधने का प्रयास किया. वाल्मीकि जी की रचना ‘रामायण’ को आधार मानकर गोस्वामी तुलसीदास ने लोक भाषा में राम कथा की रचना की।
तुलसीदास जी जिनका नाम आते ही प्रभु राम का स्वरुप भी सामने उभर आता है. तुलसीदास जी रामचरित मानस के रचयिता तथा उस भक्ति को पाने वाले जो अनेक जन्मों को धारण करने के पश्चात भी नहीं मिल पाती उसी अदभूत स्वरुप को पाने वाले तुलसीदास जी सभी के लिए सम्माननीय एवं पूजनीय रहे. तुलसीदास जी का जन्म संवत 1589 को उत्तर प्रदेश के बाँदा ज़िला के राजापुर नामक ग्राम में हुआ था. इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था.Banda https://g.co/kgs/wmhEHb

तुलसीदास जी ने अपने बाल्यकाल में अनेक दुख सहे युवा होने पर इनका विवाह रत्नावली से हुआ, अपनी पत्नी रत्नावली से इन्हें अत्याधिक प्रेम था परंतु अपने इसी प्रेम के कारण उन्हें एक बार अपनी पत्नी रत्नावली की फटकार -

” लाज न आई आपको दौरे आएहु नाथ”

“अस्थि-चर्म मय देह मम तापै ऐसी प्रीति, अस जो होति श्रीराम मह तो ना होति भव भीति।।” ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी और तुलसी जी राम जी की भक्ति में ऎसे डूबे कि उनके अनन्य भक्त बन गए. बाद में इन्होंने गुरु बाबा नरहरिदास से दीक्षा प्राप्त की.

नरहरि बाबा ने तुलसीदास को तराशा और उसका नाम रामबोला रखा। उसे वे अयोध्या ले गए और उनका यज्ञोपवीत-संस्कार कराया। बिना सिखाये ही बालक रामबोला ने गायत्री-मंत्र का उच्चारण किया, जिसे देखकर सब लोग चकित हो गए। इसके बाद नरहरि स्वामी ने वैष्णवों के पांच संस्कार कर रामबोला को राममंत्र की दीक्षा दी और अयोध्या ही में रहकर उन्हें विद्याध्ययन कराने लगे।

बालक रामबोला की बुद्धि बड़ी प्रखर थी। एक बार गुरुमुख से जो सुन लेते थे, उन्हें वह कंठस्थ हो जाता था। वहां से कुछ दिन बाद गुरु-शिष्य दोनों शूकरक्षेत्र (सोरों) पहुंचे। वहां श्री नरहरि जी ने तुलसीदास को रामचरित सुनाया। कुछ दिन बाद वह काशी चले आये। काशी में शेषसनातन जी के पास रहकर तुलसीदास ने पंद्रह वर्ष तक वेद-वेदांग का अध्ययन किया।

तुलसी- तुलसी सब कहें, तुलसी वन की घास।
हो गई कृपा राम की तो बन गए
इधर उनकी लोकवासना कुछ जाग्रत हो उठी और अपने विद्यागुरु से आज्ञा लेकर वे अपनी जन्मभूमि को लौट आये। वहां आकर उन्होंने देखा कि उनका परिवार नष्ट हो चुका है। उन्होंने विधिपूर्वक अपने पिता आदि का श्राद्ध किया और वहीं रहकर लोगों को भगवान राम की कथा सुनाने लगे।

अपने दीर्घकालीन अनुभव और अध्ययन के बल पर तुलसी ने साहित्य को अमूल्य कृतियों से समृद्ध किया, जो तत्कालीन भारतीय समाज के लिए तो उन्नायक सिद्ध हुई ही, आज भी जीवन को मर्यादित करने के लिए उतनी ही उपयोगी हैं। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। इनमें रामचरित मानस, कवितावली, विनयपत्रिका, दोहावली, गीतावली, जानकीमंगल, हनुमान चालीसा, बरवै रामायण आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
तुलसीदास जी संस्क्रत भाषा के विद्वान थे अपने जीवनकाल में उन्होंने ने अनेक ग्रंथों की रचना की तुलसीदास जी रचित श्री रामचरितमानस को बहुत भक्तिभाव से पढ़ा जाता है, रामचरितमानस जिसमें तुलसीदास जी ने भगवान राम के चरित्र का अत्यंत मनोहर एवं भक्तिपूर्ण चित्रण किया है. दोहावली में तुलसीदास जी ने दोहा और सोरठा का उपयोग करते हुए अत्यंत भावप्रधान एवं नैतिक बातों को बताया है. कवितावली इसमें श्री राम के इतिहास का वर्णन कवित्त, चौपाई, सवैया आदि छंदों में किया गया है.
रामचरितमानस के जैसे ही कवितावली में सात काण्ड मौजूद हैं. गीतावली सात काण्डों वाली एक और रचना है जिसमें में श्री रामचन्द्र जी की कृपालुता का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन किया गया है. इसके अतिरिक्त विनय पत्रिका कृष्ण गीतावली तथा बरवै रामायण, हनुमान बाहुक, रामलला नहछू, जानकी मंगल, रामज्ञा प्रश्न और संकट मोचन जैसी कृत्तियों को रचा जो तुलसीदास जी की छोटी रचनाएँ रहीं. रामचरितमानस के बाद हनुमान चालीसा तुलसीदास जी की अत्यन्त लोकप्रिय साहित्य रचना है. जिसे सभी भक्त बहुत भक्ति भाव के साथ सुनते हैं.
तुलसीदास जी ने उस समय में समाज में फैली अनेक कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया अपनी रचनाओं द्वारा उन्होंने विधर्मी बातों, पंथवाद और सामाज में उत्पन्न बुराईयों की आलोचना की उन्होंने साकार उपासना, गो-ब्राह्मण रक्षा, सगुणवाद एवं प्राचीन संस्कृति के सम्मान को उपर उठाने का प्रयास किया वह रामराज्य की परिकल्पना करते थे. इधर उनके इस कार्यों के द्वारा समाज के कुछ लोग उनसे ईर्ष्या करने लगे तथा उनकी रचनाओं को नष्ट करने के प्रयास भी किए किंतु कोई भी उनकी कृत्तियों को हानि नहीं पहुंचा सका.

आज भी भारत के कोने-कोने में रामलीलाओं का मंचन होता है. उनकी इनकी जयंती के उपलक्ष्य में देश के कोने कोने में रामचरित मानस तथा उनके निर्मित ग्रंथों का पाठ किया जाता है. तुलसीदास जी ने अपना अंतिम समय काशी में व्यतित किया और वहीं विख्यात घाट असीघाट पर संवत‌ 1680 में श्रावण कृष्ण तृतीया के दिन अपने प्रभु श्री राम जी के नाम का स्मरण करते हुए अपने शरीर का त्याग किया.
.                Sri Ram Bhadra 
                    (DIRECTOR)
      GYAN BHARTI PUBLIC SCHOOL
    Morsand, Runnisaidpur, Sitamarhi

Saturday, 19 August 2023

ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल में हफ्ते भर चला स्वतंत्रता दिवस समारोह।

ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल में हफ्ते भर चलेगा स्वतंत्रता दिवस समारोह।
ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल में सप्ताह भर तक स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया जा रहा है।जिसमें, विद्यालय के छात्रों एवं छात्राओं द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे है।। प्रत्येक वर्ग के लिए निर्धारित दिन और समय अनुसार, उसी वर्ग के छात्र कार्यक्रम को संचालित कर रहे हैं।

विद्यालय के निदेशक श्री राम भद्र बताते हैं कि इस तरह की गतिविधियों में सभी बच्चों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि पढ़ाई के अतिरिक्त वे अपनी अन्य विधाओं को भी प्रदर्शित कर सकेंगे। विद्यार्थियों की सारी प्रस्तुति एक दिन में संपादित नहीं किया जा सकता। अतः इस आजादी के अमृत महोत्सव को सप्ताह भर चलने दिया जाए। प्रतिदिन दो वर्गों की प्रस्तुति होगी तथा उन्ही वर्गो के छात्र या छात्रा के द्वारा कार्यक्रम संचालित किए जाए। 

Saturday, 5 August 2023

अदृश्य पदार्थ

एमआईटी भौतिक विज्ञानी पदार्थ को अदृश्य करने के लिए मौलिक परमाणु संपत्ति का उपयोग करते हैं
अल्ट्राकोल्ड, सुपरडेंस परमाणु कैसे अदृश्य हो जाते हैं

एक नए अध्ययन से पुष्टि होती है कि जैसे-जैसे परमाणुओं को ठंडा किया जाता है और अत्यधिक निचोड़ा जाता है, प्रकाश बिखेरने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।

एक परमाणु के इलेक्ट्रॉन ऊर्जा कोश में व्यवस्थित होते हैं। किसी अखाड़े में संगीत देने वालों की तरह, प्रत्येक इलेक्ट्रॉन एक ही कुर्सी पर रहता है और यदि उसकी सभी कुर्सियाँ भरी हुई हैं तो वह निचले स्तर पर नहीं गिर सकता।

परमाणु भौतिकी की इस मौलिक संपत्ति को पाउली अपवर्जन सिद्धांत के रूप में जाना जाता है, और यह परमाणुओं की खोल संरचना, तत्वों की आवर्त सारणी की विविधता और भौतिक ब्रह्मांड की स्थिरता की व्याख्या करता है।

अब, एमआईटी भौतिकविदों ने पाउली अपवर्जन सिद्धांत, या पाउली अवरोधन को बिल्कुल नए तरीके से देखा है: उन्होंने पाया है कि यह प्रभाव इस बात को दबा सकता है कि परमाणुओं का एक बादल प्रकाश को कैसे बिखेरता है।

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.                          प्रोटॉन.                            

प्रोटॉन की आंतरिक संरचना पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि इसका द्रव्यमान इसके आकार के समान नहीं है?

प्रोटॉन की सर्वव्यापी प्रकृति को मूर्ख मत बनने दो। हुड के नीचे यह अजीबता का एक चक्कर है, क्वांटम कण इस तरह से अस्तित्व में आ रहे हैं और बाहर आ रहे हैं जिससे मानचित्र बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। प्रोटॉन के द्रव्यमान और आवेश की संरचना के बारे में अधिक जानने से उन कणों के बारे में हमारी बुनियादी समझ विकसित होती है जो हमारे चारों ओर ब्रह्मांड का निर्माण करते हैं।

हालाँकि अभी भी बहुत काम करना बाकी है। ये निष्कर्ष आंशिक रूप से प्रयोगात्मक टिप्पणियों के अलावा उल्लिखित सैद्धांतिक मॉडल पर निर्भर करते हैं, और यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि प्रोटॉन द्रव्यमान कैसे वितरित किया जाता है और ग्लूऑन गतिविधि से जुड़ा होता है।

भविष्य के अध्ययन की योजना पहले से ही बनाई गई है, जिसमें विभिन्न उपकरण और प्रयोगात्मक तकनीकें और उच्च स्तर की सटीकता शामिल है। बहुत पहले, हम जान सकते हैं कि वास्तव में एक प्रोटॉन टिक बनाता है।

मेज़ियानी कहते हैं, "मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात - अभी एक उत्साह है।" "क्या हम जो देख रहे हैं उसकी पुष्टि करने का कोई तरीका ढूंढ सकते हैं? क्या यह नई तस्वीर की जानकारी चिपकी रहेगी?"

"लेकिन मेरे लिए, यह वास्तव में बहुत रोमांचक है। क्योंकि अगर मैं अब एक प्रोटॉन के बारे में सोचता हूं, तो हमारे पास अब इसके बारे में पहले की तुलना में अधिक जानकारी है।"

यह शोध 'नेचर' में प्रकाशित हुआ है।

विनम्र प्रोटॉन भौतिक ब्रह्मांड की धुरी है। इसकी विशेषताएं रसायन विज्ञान को परिभाषित करती हैं, इलेक्ट्रॉनों की टीमों को नियंत्रित करती हैं जो परमाणुओं को अणुओं में और अणुओं को चमकदार जटिलता में बनाती हैं।

हम इसके व्यवहार के बारे में जितना समझते हैं, प्रोटॉन की आंतरिक संरचना गतिविधि की एक अराजक गड़बड़ी है जिसे वैज्ञानिक अभी भी समझ रहे हैं।

अमेरिकी ऊर्जा विभाग के थॉमस जेफरसन राष्ट्रीय त्वरक सुविधा में आयोजित एक नया प्रयोग इस रहस्य पर प्रकाश डालता है, प्रोटॉन इनसाइड के बारे में और अधिक खुलासा करता है और वास्तव में सबसे छोटे पैमाने पर पदार्थ को एक साथ कैसे रखा जाता है।

पूरे अमेरिका के शोधकर्ता ग्लूऑन नामक छोटे मूलभूत कणों की गतिविधियों को मापने में सक्षम थे जो प्रोटॉन को एक साथ रखते हैं। पूर्व में इसे प्रोटॉन के ग्लुओनिक गुरुत्वाकर्षण रूप कारक के रूप में जाना जाता था, यह माप सकारात्मक रूप से चार्ज किए गए परमाणु कण की द्रव्यमान संरचना में एक प्रकार की खिड़की के रूप में कार्य करता है।

टीम ने पाया कि प्रोटॉन के द्रव्यमान की त्रिज्या उसके विद्युत आवेश के वितरण को कवर करने वाली त्रिज्या से भिन्न होती है, जिसे अक्सर प्रोटॉन के आकार के लिए प्रॉक्सी के रूप में उपयोग किया जाता है। हालाँकि उन मूल्यों के मेल खाने की उम्मीद नहीं की जाएगी, लेकिन उनके बीच के अंतर वैज्ञानिकों को इस बारे में अधिक बता सकते हैं कि एक प्रोटॉन को एक साथ कैसे रखा जाता है।

थॉमस जेफरसन के एक वरिष्ठ स्टाफ वैज्ञानिक मार्क जोन्स कहते हैं, "इस द्रव्यमान संरचना की त्रिज्या चार्ज त्रिज्या से छोटी है, और इसलिए यह हमें न्यूक्लियॉन की चार्ज संरचना बनाम द्रव्यमान के पदानुक्रम का एहसास कराती है।" वर्जीनिया में राष्ट्रीय त्वरक सुविधा।

चूँकि ग्लूऑन में आवेश और द्रव्यमान की कमी होती है, इसलिए उनका माप अप्रत्यक्ष रूप से लिया जाना चाहिए, जैसे कि क्वार्क और एंटीक्वार्क के युग्मों के क्षय उत्पादों से जिन्हें मेसॉन कहा जाता है। प्रयोग में एक इलेक्ट्रॉन किरण और तरल हाइड्रोजन से गुजरने वाला एक फोटॉन किरण शामिल था, जिसके परिणामस्वरूप परस्पर क्रिया हुई जिससे एक प्रकार का मेसन उत्पन्न हुआ जिसे J/ψ कण कहा जाता है।

Winners

विज्ञान कहता है कि एक वयस्क स्वस्थ पुरुष एक बार संभोग के बाद जो वीर्य स्खलित करता है, उसमें 400 मिलियन शुक्राणु होते हैं...... ये 40 करोड़ श...